लोहड़ी – सर्दियों में पंजाबी परम्परा की चमक

जब हम लोहड़ी की बात करते हैं, तो यह उस जलते हुए अंगारों के आसपास गाए जाने वाले गीत, गोलियों के साथ बाँटे जाने वाले खाने‑पीने और गाँव‑समुदाय में बढ़ती एकता को दर्शाता है। 31 जनवरी की रात को मनाया जाने वाला यह उत्सव कृषि आधारित समाज की फसल‑कटाई की खुशी को चिन्हित करता है। इस त्यौहार को अक्सर Lohri भी कहा जाता है। पंजाबी संस्कृति, भांगड़ा, गिद्दा और पारम्परिक मीठे‑नमकीन व्यंजनों के साथ गहरी जुड़ी हुई है और लोहड़ी इसे उज्जवल रूप से प्रदर्शित करता है। इसी तरह सर्दियों के त्यौहार, दुर्मिळ मौसम में ऊर्जा और आशा का संचार करते हैं भी लोहड़ी के साथ सामाजिक तालमेल बनाते हैं। इस प्रकार लोहड़ी न सिर्फ एक धार्मिक अनुष्ठान है, बल्कि गाँव की सामाजिक संरचना का भी अभिन्न हिस्सा है।

लोहड़ी के प्रमुख तत्व और उनके अर्थ

रात के अँधेरे में आग का घेरा सजाना, वह सबसे पुरानी परम्पराओं में से एक है; यह परम्परागत भोजन, गुड़, तिल के लड्डू, सरसों दा साग और मक्की दी रोटी जैसी वस्तुएँ को आग के पास रखकर भुना जाता है। ये खाद्य पदार्थ न केवल स्वाद में समृद्ध होते हैं, बल्कि फसल‑कटाई की समृद्धि का प्रतीक भी हैं। साथ में गाए जाने वाले लोक गीत, 'सुनो मुन्ने', 'बिल्ली शेर दे पिंजरा' आदि और बांगड़ी की थिरकती ध्वनि, सामुदायिक जुड़ाव को और गहरा करती है। लोग अपने घर‑बार में तिल‑गुड़ की मिठाई बाँटते हैं, बच्चों को मारवली खिलाते हैं और नई वर्ष की शुरुआत में आशा के साथ भविष्य की योजना बनाते हैं। यह श्रृंखला दर्शाती है कि संगीत + खाना + आग = सामाजिक एकता – एक स्पष्ट सेमेंटिक त्रिपल जो लोहड़ी को जीवन देती है।

आधुनिक दौर में लोहड़ी की उत्सवधारा ने डिजिटल प्लेटफ़ॉर्म, शहरी सामुदायिक हॉल, और विदेश‑वापसी परितंत्र में भी अपना रंग बिखेर दिया है। युवा वर्ग अब सोशल मीडिया पर लोहड़ी की झूम‑झमकार, रीयर‑सातगुना वीडियो और लाइव संगीत सत्र साझा करता है, जिससे यह त्यौहार राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी पहचान बना रहा है। इसी सिलसिले में समुदायिक एकता, पारिवारिक बंधनों को मजबूत करने और पीढ़ियों को जोड़ने का माध्यम की भूमिका और भी स्पष्ट हो गई है। चाहे वह छोटे गाँव की हुई है या बड़ी शहर की किचन, लोहड़ी के माध्यम से लोग एक समान ऊर्जा, गर्मी और उत्साह का अनुभव करते हैं। इस विविधता के साथ, लोहड़ी अपने मूल अर्थ को नहीं खोता – यह अभी भी फसल‑कटाई के बाद की खुशियों का प्रतीक है, पर अब यह वैश्विक भारतीय पहचान का भी हिस्सा बन चुका है। नीचे आप विभिन्न लेखों में लोहड़ी की विभिन्न पहलुओं को विस्तार से देखेंगे – इतिहास, रीति‑रिवाज, लोकप्रिय गीत और आधुनिक रूपांतर, ताकि आप अपने अगले लोहड़ी समारोह को और भी खास बना सकें।

लोहड़ी 2025: त्योहार के शुभकामनाएं, संदेश और उत्सव का जश्न
लोहड़ी 2025: त्योहार के शुभकामनाएं, संदेश और उत्सव का जश्न
Aswin Yoga जनवरी 13, 2025

लोहड़ी, उत्तर भारत का प्रमुख त्योहार जो खासकर पंजाब और हरियाणा में मनाया जाता है, 13 जनवरी 2025 को मनाया जाएगा। इस दिन शीतकालीन संक्रांति की समाप्ति और लंबे दिनों की शुरुआत होती है। लोहड़ी एक पवित्र अग्नि प्रज्वलन का त्योहार है जो नवविवाहितों और नवजातों के लिए सौभाग्य का प्रतीक होता है। यह मकर संक्रांति से एक दिन पहले मनाया जाता है।