मुद्रास्फीति क्या है? कारण, असर और नवीनतम आँकड़े

जब हम मुद्रास्फीति, वस्तु एवं सेवा की कीमतों में लगातार औसत बढ़ोतरी, जिससे मुद्रा की खरीद शक्ति घटती है. Also known as इन्फ्लेशन, यह आर्थिक जीवन के लगभग हर पहलू को प्रभावित करता है—घर के खर्च से लेकर बचत तक। इस लेख में हम समझेंगे कि मुद्रास्फीति कहाँ से आती है, कौन‑कौन से संकेतक इसे मापते हैं और नीति निर्माताओं की क्या‑क्या रणनीति हो सकती है। यदि आप जानना चाहते हैं कि आपका जॉब सैलरी या घर का किराया कैसे बदल सकता है, तो आगे पढ़िए।

एक प्रमुख संकेतक वस्तु एवं सेवा मूल्य सूचकांक (CPI), उपभोक्ता कीमतों की औसत परिवर्तन दर को दर्शाता है है। CPI डेटा के आधार पर सरकारें और केन्द्रीय बैंक (RBI) मौद्रिक नीति बनाते हैं। दूसरे शब्दों में, केन्द्रीय बैंक के निर्णय सीधे मुद्रास्फीति को नियंत्रित करने के लिए डिज़ाइन किए जाते हैं—जैसे रेपो दर को ऊपर‑नीचे करना। यही कारण है कि आप अक्सर सुने हैं “RBI ने ब्याज दर बढ़ाई, ताकि महँगी चीज़ों की कीमतों को रोक सके।”

संबंधित एक और महत्वपूर्ण अवधारणा भुगतान शक्ति, उसे मात्रा में सामान या सेवाएँ जो कोई व्यक्ति अपनी आय से खरीद सकता है है। जब मुद्रास्फीति तेज़ी से बढ़ती है, तो वही वेतन या पेंशन कम मूल्य प्रदान करती है; आपका ₹5000 का किराना ख़रीद पर पहले दो किलोग्राम आलू दे सकता था, लेकिन आज वही ₹5000 सिर्फ एक किलोग्राम दे सकता है। इस बदलाव को समझना व्यक्तिगत वित्त योजना के लिये जरूरी है—आपको बचत, निवेश और खर्च के बीच संतुलन बनाना पड़ेगा।

मुख्य कारण और उनकी जाँच

मुद्रास्फीति के कारण अक्सर दो बड़े समूह में बांटे जाते हैं: मांग‑पक्षीय (Demand‑pull) और आपूर्ति‑पक्षीय (Cost‑push)। मांग‑पक्षीय तब होती है जब लोगों के पास खर्च करने की अधिक शक्ति होती है, जैसे आर्थिक मंदी के बाद सरकार की स्टिमुलस पैकेज। इसके परिणामस्वरूप उत्पादों की माँग बढ़ जाती है और कंपनियों को कीमतें बढ़ानी पड़ती हैं। दूसरी ओर, आपूर्ति‑पक्षीय तब उत्पन्न होती है जब उत्पादन लागत—जैसे कच्चा माल, वेतन, ऊर्जा—बढ़ती है। तेल की कीमतें जब बढ़ती हैं, तो ट्रांसपोर्ट लागत भी बढ़ती है, और अंत में उपभोक्ता को यह कीमत बढ़ाकर देना पड़ता है।

एक तीसरा कारक, अक्सर भू‑राजनीतिक घटनाएँ या प्राकृतिक आपदाएँ, सीधे कीमतों को असर करती हैं। उदाहरण के तौर पर, अगर बंगला में भारी बाढ़ आती है तो धान की फसल घट जाएगी, और बाजार में धान की कीमत झटके से बढ़ेगी। इसी तरह, अंतरराष्ट्रीय टैरिफ या कस्टम ड्यूटी में बदलाव भी आयातित वस्तुओं की कीमत को सीधे बदल देता है, जिससे CPI पर असर पड़ता है। इस कारण से हमें हमेशा नयी रिपोर्टों पर नज़र रखनी चाहिए—क्योंकि वही रिपोर्टें अक्सर नीति‑निर्माताओं को अपने कदम बदलने के लिए प्रेरित करती हैं।

अब बात करते हैं नीति की—RBI जैसी संस्थाएँ किस तरह के टूल इस्तेमाल करती हैं। सबसे आम टूल रेपो रेट है, जो बैंकों को मध्यस्थता के लिए तय करता है। यदि नीति‑निर्माता मुद्रास्फीति को काबू में लाने के लिये चाहते हैं, तो वे रेपो रेट बढ़ाते हैं, जिससे बैंकों की उधारी महँगी हो जाती है, और लोग कम खर्च करते हैं। इसके अलावा, ओपन मार्केट ऑपरेशन्स (OMO) के माध्यम से बॉन्ड खरीद‑बेच करके बाजार में पैसा घटाया या बढ़ाया जा सकता है। ये सभी उपाय मिलकर कुल मांग को समायोजित करते हैं और अंततः कीमतों पर असर डालते हैं।

व्यक्तिगत निवेशकों के लिये यह समझना भी अहम है कि मुद्रास्फीति किन एसेट क्लासेज़ को फाइदा या नुकसान पहुंचा सकती है। जब मुद्रास्फीति हाई होती है, तो अक्सर सोने जैसे वास्तविक संपत्ति की कीमतें बढ़ती हैं क्योंकि सोना पैसे के मूल मान को संरक्षित करता है। वहीं, फिक्स्ड डिपॉज़िट या बचत खाते की ब्याज दर कम रहने से रियल रिटर्न नकारात्मक हो सकता है। इसलिए कई लोग मौद्रिक नीति की दिशा को देख कर अपने पोर्टफ़ोलियो को रिअल एसेट्स की ओर शिफ्ट करते हैं। यह भी एक कारण है कि वित्तीय समाचार पढ़ते समय आपको ‘मुद्रास्फीति’ शब्द कई बार सुनाई देगा।

सारांश में, मुद्रास्फीति सिर्फ कीमतों के ऊपर एक अंक नहीं है—यह एक जटिल प्रणाली है जो विश्व स्तर पर आर्थिक निर्णयों, घरेलू नीति, और रोज़मर्रा की ज़िन्दगी को जोड़ती है। इस टैग पेज में आपको विभिन्न लेख मिलेंगे जो न केवल CPI डेटा को समझाते हैं, बल्कि RBI की मौद्रिक नीति, वस्तु कीमतों के उतार‑चढ़ाव, और व्यक्तिगत वित्तीय रणनीतियों पर भी प्रकाश डालते हैं। चाहे आप एक छात्र हों, नौकरीपेशा व्यक्ति या निवेशक, आगे पढ़े गए लेख आपके सवालों का जवाब देंगे और आपको बेहतर निर्णय लेने में मदद करेंगे।

US Fed FOMC बैठक लाइव अपडेट्स: आज आएगा ब्याज दरों और मुद्रास्फीति पर फैसला, जानें क्या हैं उम्मीदें
US Fed FOMC बैठक लाइव अपडेट्स: आज आएगा ब्याज दरों और मुद्रास्फीति पर फैसला, जानें क्या हैं उम्मीदें
Aswin Yoga अगस्त 1, 2024

US Federal Reserve की Federal Open Market Committee (FOMC) की बैठक से लाइव अपडेट्स प्राप्त हो रहे हैं, जिसमें ब्याज दरों और मुद्रास्फीति पर फैसला लिया जा रहा है। समिति ने 5.25% से 5.5% की सीमा में बेंचमार्क रातों-रात उधार दर बनाए रखी है। अध्यक्ष जेरोम पॉवेल ने वर्ष के अंत में दरों में कटौती की संभावना व्यक्त की है। फेड ने मुद्रास्फीति को 2% लक्ष्य के करीब लाने की आवश्यकता पर जोर दिया।