नानी: परिवार की अनमोल कड़ी
जब हम नानी, परिवार की वह सदस्य जो बच्चों की शुरुआती परवरिश, सांस्कृतिक ज्ञान और भावनात्मक समर्थन देती है. Also known as दादी, वह घर की भावना को जोड़ती है। वही बच्चे, परिवार के भविष्य के सदस्य के लिए पहला गुरु, साथी और सुरक्षा की दीवार होती हैं। इस रिश्ते का मुख्य केंद्र परिवार, जिनके भीतर नानी अपनी भूमिका निभाती हैं है, जहाँ भावनात्मक समर्थन और पारिवारिक इतिहास एक साथ आकर जीवन को संतुलित बनाते हैं। नानी की देखभाल में अनुभव, कहानी‑सुनाने की कला और दैनिक ज़िम्मेदारियों का मिश्रण है, जो बच्चों की पहचान को आकार देता है।
नानी की भूमिका और जिम्मेदारियाँ
नानी पाँच‑सात चीज़ों को एक साथ संभालती हैं: पोषण,शिक्षा,सांस्कृतिक विरासत,स्वास्थ्य देखभाल और भावनात्मक संबल। वह अक्सर सबको एक लोहे की रुली में बाँधती है — सुबह का नाश्ता, दवाओं का समय, खेल‑कूद के बीच पढ़ाई का ब्रेक। इस तरह नानी बच्चों के शारीरिक और मानसिक विकास दोनों को तराशती हैं। इनके पास सर्दियों में गरम कढ़ाई और गर्मियों में ठंडा पुदीना पानी दोबारा बनाने के टिप्स होते हैं, जिससे छोटे‑बड़े सभी को आराम मिलता है। उनके अनुभव से बिना किसी बड़े खर्चे के घर में ही चिकित्सा उपाय तैयार हो जाते हैं, जो आज के तेज़‑रफ्तार जीवन में दुर्लभ है।
आधुनिक समय में नानी की भूमिका तकनीकी बदलावों से भी प्रभावित हुई है। स्मार्टफ़ोन और ऑनलाइन शिक्षा के दौर में वह अक्सर ऑनलाइन कक्षाओं की सहायता करती हैं, जबकि अपने पुराने लहजे में बच्चों को नैतिक मूल्यों की बोध करवाती हैं। यह दोहरी दुनिया — परम्परा और नवाचार — नानी को एक अनूठा पुल बनाती है, जहाँ वह नई चीज़ें सीखती हैं और पुरानी सीखों को फिर से दोहराती हैं। इस संतुलन से परिवार में स्थिरता और विकास दोनों को बढ़ावा मिलता है।
नानी के योगदान का असर कभी‑कभी आंकड़ों में भी दिखता है। सामाजिक विज्ञान के एक सर्वेक्षण में कहा गया कि जिन बच्चों की परवरिश में नानी प्रमुख होती है, उनका आत्म‑विश्वास 30% अधिक होता है और स्कूल में उनकी उपस्थिति दर 15% बेहतर रहती है। ये आँकड़े दर्शाते हैं कि नानी की उपस्थिति सिर्फ भावनात्मक नहीं, बल्कि शैक्षणिक सफलता में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। इस तरह नानी का प्रभाव जीवन के कई पहलुओं में गहरा रहता है, चाहे वह पढ़ाई हो या खेल‑कूद।
परिवार में नानी का स्थान सिर्फ देखभाल तक सीमित नहीं है; वह अक्सर सलाहकार, मध्यस्थ और संधारक भी बनती है। दामाद‑बहू या भाई‑बहन के बीच के झगड़ों में वह अपनी उम्र‑दौलत के कारण बीच की आवाज़ बनती है। उनकी कहानी‑सुनाने की कला कई बार तनाव को कम करती है और घर में शांति को बरकरार रखती है। जब आप सोचते हैं कि नानी सिर्फ खाना पकाने या झाड़ू‑पोंछी में ही रहती हैं, तो अक्सर उनका वास्तविक योगदान अनदेखा रह जाता है।
अब आप नीचे विभिन्न विषयों की खबरें पढ़ेंगे, जिनमें आर्थिक, खेल, स्वास्थ्य, सामाजिक और तकनीकी अपडेट शामिल हैं। इन लेखों में नानी से सीधा जुड़ाव नहीं हो सकता, पर यह दिखाता है कि हमारे समाज की धारा कितनी विविध है — ठीक उसी तरह जैसे नानी परिवार की धारा को संतुलित रखती हैं। आगे के लेखों में आपको भारत की नवीनतम राजनीतिक विकास से लेकर खेल की रोमांचक जीत‑हार, आर्थिक रुझानों और सामाजिक बदलावों की जानकारी मिलेगी। पढ़ते रहें और देखें कि कैसे हर समाचार हमारे दैनिक जीवन से जुड़ा है, जैसे नानी हमारे घर के हर कोने में रहती हैं।

अगस्त 29, 2024
'सरिपोधा सनिवारम' नानी, एस जे सूर्या, प्रियंका मोहन, साई कुमार और मुरली शर्मा अभिनीत एक तेलुगु फिल्म है। विवेक आत्रेय द्वारा निर्देशित यह फिल्म नानी के साथ उनकी दूसरी सहयोगी परियोजना है। फिल्म का समीक्षात्मक यात्रा, वर्ग से बिल्कुल विपरीत, इस बार एक व्यापक दर्शकों के लिए बनाई गई है। समीक्षकों ने इसे 2.5/5 रेटिंग दी है।