ओरेंज अलर्ट – क्या है, कब मिलता है, क्या करें
जब हम बात ओरेंज अलर्ट, एक मध्य‑स्तर की मौसम चेतावनी है जो तेज़ बारिश, बाढ़ या तेज़ हवाओं की संभावना बताती है, also known as ऑरेंज वार्निंग की, तो इसका मतलब है कि मौसम में संभावित खतरे बढ़ गए हैं और लोग तुरंत तैयारी करें। भारत मौसम विभाग (IMD) इस चेतावनी को रेड अलर्ट से पहले जारी करता है, जिससे जोखिम का स्तर स्पष्ट हो जाता है।
ओरेंज अलर्ट अक्सर साइकलोन, समुद्र में बनता बड़ा बवंडर जो भारी बारिश और तेज़ हवाओं को ले कर आता है या गंभीर मौसमी तूफ़ान से जुड़ा होता है। जब साइकलोन की गति 100 km/h से ऊपर जाती है, तो IMD का प्रोटोकॉल ऑरेंज अलर्ट जारी करने का होता है। साथ ही, इस स्तर पर बाढ़, भारी वर्षा या नदी‑स्तर के ऊपर उठने से उत्पन्न जल‑प्रलय की संभावना भी बढ़ जाती है, इसलिए स्थानीय प्रशासन तुरंत राहत कार्य शुरू कर देता है।
ऑरेंज अलर्ट से जुड़ी प्रमुख बातें
पहला, ऑरेंज अलर्ट में सूचना का तेज़ प्रसार सबसे महत्वपूर्ण होता है। IMD के आधिकारिक वेबसाइट, मोबाइल ऐप और टेलीविज़न चैनल वास्तविक‑समय अपडेट देते हैं। दूसरा, इस चेतावनी का अर्थ यह नहीं कि चीज़ें तुरंत खराब हो जाएँगी, बल्कि यह तैयार रहने का संकेत है। उदाहरण के तौर पर, तटीय शहरों में सतत जल‑स्तर मॉनिटरिंग, ग्रामीण क्षेत्रों में ऊँचे घर बनवाना, और किसानों को फसल‑सुरक्षा उपाय अपनाने की सलाह दी जाती है। तीसरा, स्थानीय सरकारी एजेंसियां अक्सर निर्दिष्ट निकासी क्षेत्रों की सूची प्रकाशित करती हैं, जिससे आपातकालीन सुविधाओं तक पहुंच आसान हो जाती है।
साथ ही, ऑरेंज अलर्ट का प्रभाव जीवन‑शैली के कई पहलुओं पर पड़ता है। यात्रा योजनाएँ बदल सकती हैं, स्कूल बंद हो सकते हैं, और बिजली‑सप्लाई में बाधा आ सकती है। इसलिए, व्यक्तिगत स्तर पर मोबाइल चार्जर, पानी की बोतलें, दवा‑की दवाइयाँ और बुनियादी खाद्य सामग्री एक साथ रखनी चाहिए। यदि आप जल‑सड़कों वाला इलाका में रहते हैं, तो घर की छत को मजबूत करना, दरवाज़े‑खिड़कियों को ताला लगाना और सीवर की सफाई पहले ही कर दें। ये छोटे‑छोटे कदम बड़े नुकसान को रोक सकते हैं।
ऑरेंज अलर्ट की अवधि आमतौर पर 24‑48 घंटे तक रहती है, लेकिन यदि मौसम की स्थिति बिगड़ती है, तो इसे रेड अलर्ट में बदल दिया जाता है। इस परिवर्तन को समझना जरूरी है क्योंकि रेड अलर्ट में आपातकालीन निकासी अनिवार्य हो जाती है। इसलिए, अलर्ट के स्तर को लगातार ट्रैक करना और स्थानीय प्रशासन के निर्देशों को सुनना चाहिए। एक बार जब अलर्ट समाप्त हो जाए, तो नुकसान का आंकलन करने के लिए फोटोग्राफ़ लेना और बीमा कंपनियों को सूचना देना फायदेमंद रहता है।
इसी तरह, कई बार ऑरेंज अलर्ट के साथ साइकलोन के विकास चरण को भी देखना चाहिए। यदि साइकलोन को "डिप्रेसिंग स्टेज" कहा जाता है, तो बरसात की तीव्रता कम हो सकती है, लेकिन बाढ़ का जोखिम अभी भी उच्च रहता है। इस स्थिति में निचले इलाकों के लोग अतिरिक्त उपाय जैसे मौसमी बाढ़‑रोक बंधे बनवाने, सटीक मौसम‑भविष्यवाणी ऐप्स पर नज़र रखने और पड़ोसियों से मिलकर सामुदायिक सहायता योजना बनाने से लाभ उठा सकते हैं।
आखिर में, ऑरेंज अलर्ट सिर्फ एक रंगीन लेबल नहीं, बल्कि एक प्रैक्टिकल गाइड है जो हमें संभावित आपदा से बचाव के लिए तैयार करता है। इस पेज पर आप देखेंगे कि कैसे सरकार, मौसम विभाग और आम जनता मिलकर इस चेतावनी को लागू करते हैं। नीचे के लेखों में आपके क्षेत्र‑विशेष, वित्तीय प्रभाव, स्वास्थ्य जोखिम और तकनीकी समाधान पर विस्तृत चर्चा है—जो आपको पूरी तरह समझाएगा कि ऑरेंज अलर्ट का सामना कैसे करें।
इंडिया मीटियोरोलॉजिकल डिपार्टमेंट (IMD) ने 27‑30 सितंबर 2025 के दौरान महाराष्ट्र में भारी‑से‑अत्यधिक भारी बारिश की भविष्यवाणी की है। बंगलादेशी डिप्रेशन के कारण कोकण, मध्य महाराष्ट्र और विदर्भ के कई जिलों में ओरेंज और रेड अलर्ट जारी किया गया। राज्य सरकार ने आपातकालीन उपायों के साथ साथ जनता को सुरक्षा के लिए चेतावनी जारी की है।