सुप्रीम कोर्ट – भारत की सर्वोच्च न्यायिक शक्ति

जब सुप्रीम कोर्ट, भारत का उच्चतम न्यायालय है, जो संविधान की व्याख्या और न्यायिक समीक्षा करता है, Also known as उच्चतम न्यायालय की बात करते हैं, तो यह समझना जरूरी है कि यह संस्थान किस तरह से न्यायपालिका के ढाँचे में फिट बैठता है।

भारत की न्यायपालिका, विधि-निर्धारण, विवाद समाधान और अधिकार सुरक्षा की प्रमुख शाखा है में सुप्रीम कोर्ट की स्थिति अनूठी है। यह न केवल उच्च न्यायालयों के अपील को सुनता है, बल्कि सीधे संविधान के मौलिक अधिकारों (मौलिक अधिकार, समानता, स्वतंत्रता और न्याय का आधार हैं) की रक्षा भी करता है। इस कारण, "सुप्रीम कोर्ट" और "संविधान" (संविधान, भारत का मूल कानून, जो सभी संस्थाओं की सीमाएँ तय करता है) के बीच घनिष्ठ संबंध बनता है।

एक प्रमुख कार्य है न्यायिक समीक्षा – यह प्रक्रिया सुप्रीम कोर्ट को किसी भी कानून या कार्यवाही को असंवैधानिक घोषित करने की शक्ति देती है। इसलिए, जब कोई नया विधायी पहल या सरकारी नीति सामने आती है, तो सुप्रीम कोर्ट के फैसले से उसका भविष्य तय हो सकता है। उदाहरण के तौर पर, हाल के IPO, खेल और टेलीकॉम से जुड़े मुद्दों में भी कोर्ट की रातेँ सुनवाई आर्थिक बाजारों को दिशा देती है। इसी तरह, उच्च न्यायालयों के निर्णयों की अपील के बाद, सुप्रीम कोर्ट अक्सर नई कानूनी व्याख्याएँ पेश करता है जो पूरे न्यायिक प्रणाली को प्रभावित करती हैं।

इस पेज पर आपको उन लेखों की सूची मिलेगी जिनमें "सुप्रीम कोर्ट" के प्रभाव को अलग‑अलग क्षेत्रों में दिखाया गया है – चाहे वह वित्तीय IPO की वैधता हो, खेल‑संबंधी विवाद हो, या टेलीकॉम पैकेजों की नियामक शर्तें। आप पढ़ेंगे कि कैसे कोर्ट ने पिछले वर्षों में प्रमुख रिवर्सन, मौलिक अधिकार के उल्लंघन और सार्वजनिक नीति के सवालों को हल किया। इन लेखों से आपको न सिर्फ कोर्ट की कार्यवाही की स्पष्ट समझ मिलेगी, बल्कि यह भी पता चलेगा कि कौन‑से क्षेत्रों में भविष्य में कानूनी चुनौतियाँ उभर सकती हैं।

अब नीचे पढ़िए उन विशिष्ट कहानियों को, जहाँ सुप्रीम कोर्ट ने निर्णय लेना और दिशा देना दोनों ही किया – यह आपके लिए एक व्यापक और उपयोगी गाइड बन जाएगा।

दिल्ली शराब नीति पर सुप्रीम कोर्ट का ऐतिहासिक फैसला: मनीष सिसोदिया मामला
दिल्ली शराब नीति पर सुप्रीम कोर्ट का ऐतिहासिक फैसला: मनीष सिसोदिया मामला
Aswin Yoga अगस्त 9, 2024

सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली शराब नीति मामले में मनीष सिसोदिया के खिलाफ एक महत्वपूर्ण फैसला सुनाया है। कोर्ट ने सीबीआई को जांच में तेजी लाने का निर्देश दिया है और देरी को न्याय के साथ खिलवाड़ माना है। सिसोदिया पर भ्रष्टाचार और सत्ता के दुरुपयोग के आरोप हैं। यह फैसला आदमानी पार्टी (AAP) और दिल्ली सरकार के लिए एक महत्वपूर्ण परीक्षण होगा।