तुंगभद्रा बांध – भारत के प्रमुख जल संसाधन
When working with तुंगभद्रा बांध, कर्नाटक‑आंध्र प्रदेश सीमा पर स्थित एक महत्त्वपूर्ण बाँध है, जो सिंचाई और जलविद्युत दोनों के लिए उपयोगी है. Also known as Tungabhadra Dam, it provides irrigation to thousands of acres and generates hydro‑electric power for the region, the state governments consider it a lifeline for agriculture and energy.
यह बाँध जलविद्युत, बिजली उत्पादन की सुविधा और सिंचाई, कृषि के लिये जल आपूर्ति दोनों के लिए महत्वपूर्ण है। कर्नाटक में मौसमी बारिश की अनियमितता को देखते हुए, तुंगभद्रा से आने वाला पानी फसल‑सिंचाई के लिये बहुत बड़ा सहारा बनता है। आंध्र प्रदेश में भी यह जल स्रोत वायुमार्ग, जल‑संचयन और ग्रामीण जल‑आपूर्ति में योगदान देता है, जिससे दो राज्य एक साथ विकास के रास्ते पर चलते हैं।
मुख्य विशेषताएँ और प्रभाव
तीन लेवल के जल‑भंडारण क्षमता के साथ, तुंगभद्रा बांध का सतह जल स्तर साल भर बदलता रहता है, परन्तु उसका औसत उत्पादन लगभग सरोज़ 115 मेगावॉट है, जो ग्रिड में स्थिर शक्ति का भरोसा देता है। बाँध के निचले हिस्से में स्थापित जल‑ट्रांसफर पाइपलाइनें गांव‑गांव तक पानी पहुंचाने में मदद करती हैं, और कई छोटे जल‑विद्युत परियोजनाएँ भी इस जलधारा से जुड़ी हुई हैं। कृषि के क्षेत्र में, यह बाँध 5 लाख एकड़ से अधिक भूमि को बहु‑सीजन की सिंचाई देता है, जिससे धान, जौ और दलहन जैसी फसलें दोहरावदार फसल‑उपरान्त में बेहतर उत्पादन करती हैं। सिंचाई के अलावा, जल‑पर्यटन भी यहाँ एक बढ़ता हुआ सेक्टर बन रहा है। तुंगभद्रा के किनारे स्थित बंजारों की सैर, नाव‑सैर और फोटोग्राफी पसंद करने वाले लोगों को आकर्षित करती है, जिससे स्थानीय रोजगार में इज़ाफा हो रहा है। सरकार की ओर से जल‑संरक्षण योजना के तहत, जल‑स्तर की निगरानी के लिये रिमोट सेंसर और मोबाइल एप्लिकेशन चलाए गए हैं, जिससे किसान तुरंत जल‑समस्या का समाधान पा सकते हैं। इतिहास की बात करें तो, तुंगभद्रा बांध का निर्माण 1953 में शुरू हुआ और 1956 में पूरा हुआ। इस परियोजना को पहले राजा त्रिशंकु नरसिंह ने स्वीकृति दी थी, और आज यह भारत की पहली बड़ी बहुप्रयोगी बाँधों में गिनी जाती है। निर्माण के दौरान कई तकनीकी चुनौतियाँ आईं, परन्तु स्थानीय इंजीनियरों और विदेशी सलाहकारों ने मिलकर इसे समय पर पूरा किया। इस वजह से तुंगभद्रा ने जल‑संकट के समय में कई बार राहत कार्यों में अहम भूमिका निभाई है। आज के दौर में, जल‑संकट और जल‑वायु परिवर्तन के मुद्दे पर चर्चा होते रहते हैं। तुंगभद्रा बाँध का प्रबंधन अब केवल जल‑भंडारण नहीं, बल्कि जल‑गुणवत्ता, पर्यावरणीय संतुलन और जल‑सुरक्षा की दिशा में भी विस्तारित हो गया है। पर्यावरण मित्र समूहों ने यह सुझाव दिया है कि जल‑भंडारण के साथ जल‑स्रोतों को पुनर्स्थापित किया जाए, ताकि वन्यजीवों को भी लाभ मिल सके। इन सुझावों को सरकार ने धीरे‑धीरे अपनाया है, जिससे जल‑पर्यावरण की स्थिरता बनी रहे। सार में कहें तो, तुंगभद्रा बांध एक बहुउद्देशीय इंफ्रास्ट्रक्चर है—यह बिजली देता है, खेतों को पानी देता है, पर्यटन को बढ़ावा देता है और जल‑संकट में राहत का माध्यम बनता है। नीचे आप विभिन्न लेखों में इस बाँध से जुड़े नवीनतम अपडेट, इतिहासिक आँकड़े, तकनीकी विवरण और स्थानीय कहानियों को पाएँगे। चाहे आप किसान हों, इंजीनियर हों या सिर्फ़ जानकारी की खोज में हों, यह संग्रह आपके लिये उपयोगी रहेगा।
शनिवार रात कर्नाटक के होस्पेट स्थित तुंगभद्रा बांध का 19 नंबर गेट टूट गया, जिसके कारण बाढ़ का पानी नीचे की ओर बहा दिया गया। आंध्र प्रदेश राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण ने कृष्णा नदी के किनारे रहने वाले निवासियों को सतर्क रहने की चेतावनी दी है। 60-65 टीएमसी पानी निकालने के बाद मरम्मत का काम शुरू होगा।