US टैरिफ
जब बात US टैरिफ, अमेरिका द्वारा असेंबली, आयात या निर्यात वस्तुओं पर लगाए गए शुल्क. Also known as अमेरिकी टैरिफ, it shapes global कीमतें, निवेश निर्णय और देशों के व्यापार संबंधों को सीधे प्रभावित करता है। भारत में हाल ही में दवा‑उद्योग, इलेक्ट्रॉनिक सामान और कृषि उत्पादों पर US टैरिफ के बदलाव ने कई कंपनियों की रणनीतियों को हिलाया है, इसलिए इस टैग से जुड़े लेखों को पढ़ना फायदेमंद है।
US टैरिफ का असर अक्सर फार्मा टैरिफ, दवा और स्वास्थ्य‑उत्पादों पर विशेष आयात शुल्क से जुड़ा रहता है। ट्रम्प सरकार के 60‑दिन के प्राइसिंग अल्टिमेटम ने फार्मा टैरिफ को पुन: परिभाषित किया, जिससे कई भारतीय फ़ार्मास्युटिकल कंपनियों को लागत कम या बढ़ाने की दुविधा में फँसा। इसी तरह आयात शुल्क, किसी भी वस्तु पर लागू बुनियादी टैक्स जो सीमा‑पार व्यापार में लगता है US टैरिफ के साथ मिलकर कुल मूल्य श्रृंखला को प्रभावित करता है; उदाहरण के तौर पर इलेक्ट्रॉनिक घटकों पर बढ़े शुल्क ने भारतीय निर्माताओं की मार्जिन को घटा दिया। ट्रेड नीति, देशों के बीच व्यापार नियम, समझौते और नियमावली भी US टैरिफ से गहराई से जुड़ी है—नई टैरिफ दरें अक्सर द्विपक्षीय समझौतों में बदलाव को प्रेरित करती हैं, जिससे निर्यात‑आधारित उद्योगों को नई चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। इन सभी तत्वों का आपसी संबंध एक जटिल नेटवर्क बनाता है: US टैरिफ → फार्मा टैरिफ → आयात शुल्क → ट्रेड नीति, जो प्रत्येक स्तर पर आर्थिक निर्णयों को अग्रसर करता है।
इन पोस्टों में आप देखेंगे कि US टैरिफ कैसे भारतीय शेयर बाजार में फ़ार्मा स्टॉक्स को प्रभावित करता है, कौन‑से सेक्टरों को सबसे अधिक लाभ या नुक़सान हो रहा है, और नीति निर्माताओं के संभावित कदम क्या हो सकते हैं। विभिन्न लेखों में वास्तविक आँकड़े, सरकारी आँकड़ी और उद्योग‑विश्लेषण पेश किया गया है, जिससे आप वर्तमान परिदृश्य को पूरी तरह समझ सकेंगे। अब नीचे दी गई सूची में प्रत्येक लेख गहराई से इस टैग से जुड़ी खबरें, विश्लेषण और अपडेट प्रस्तुत करता है—आपकी समझ को बढ़ाने और सही निर्णय लेने में मदद करेगा।
26 सितंबर 2025 को भारतीय शेयर बाजार ने छटा लगातार गिरावट दर्ज की, जहाँ Nifty 24,654.70 पर 0.95% नीचे और Sensex 80,426.46 पर 0.90% गिरा। एनेर्जी सेक्टर ने 14.63% की सबसे बड़ी गिरावट लाई, जबकि यू.एस. टैरिफ की घोषणा ने फार्मा व IT को दबाव में रखा। बाजार की ब्रेड्थ नकारात्मक रही, 3,400 से अधिक शेयर गिरते हुए 1,095 ही बढ़े। एफआईआई आउटफ़्लो और कमजोर रुपया ने गिरावट को तेज किया।