सेबी मुख्यालय में अधिकारियों का विरोध प्रदर्शन, अध्यक्ष मधुबी पुरी बुच के इस्तीफे की मांग

सेबी मुख्यालय में अधिकारियों का विरोध प्रदर्शन, अध्यक्ष मधुबी पुरी बुच के इस्तीफे की मांग

समीर चौधरी
समीर चौधरी
सितंबर 5, 2024

सेबी मुख्यालय में हंगामे की खबरें

5 सितंबर 2024 को मुंबई में भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI) के मुख्यालय में एक विरोध प्रदर्शन ने ध्यान खींचा। सेबी के अधिकारियों ने उच्च स्तर के प्रबंधन के खिलाफ गंभीर शिकायतें उठाईं और चेयरपर्सन मधुबी पुरी बुच के इस्तीफे की मांग की।

विरोध की पृष्ठभूमि

इस विरोध प्रदर्शन की पृष्ठभूमि में 6 अगस्त को वित्त मंत्रालय को भेजा गया एक पत्र था, जिसमें कर्मचारियों ने सेबी के भीतर व्याप्त समस्याओं को उठाया था। विशेष रूप से, पत्र में यह बताया गया कि सेबी के कार्य संस्कृति में कुछ बुनियादी समस्याएं हैं, जैसे काम के लिए लगाए गए अवास्तविक लक्ष्यों (Key Result Areas) का प्रावधान। कर्मचारियों का आरोप था कि कुछ विभागों के लिए KRA लक्ष्य 30-50% तक बढ़ा दिए गए थे, जिससे तनाव और चिंता का माहौल बन गया था।

सेबी के प्रबंधन पर आरोप

कर्मचारियों ने शिकायत की कि प्रबंधन का रवैया काफी अनुचित और अनुचित है। उनके अनुसार उच्च स्तरीय बैठकों में शोरगुल, डांट-फटकार और सार्वजनिक अपमान आम बात हो गई है। इस सबके कारण कार्यस्थल पर भय और अविश्वास का माहौल उत्पन्न हो गया है।

अधिकारियों ने कहा कि इस प्रकार की कार्य संस्कृति में 'मूल्य वर्धन' के बजाय 'आतंक जोड़ने' पर अधिक जोर दिया जा रहा है।

सेबी का प्रतिवाद

विरोध प्रदर्शन के जवाब में, सेबी ने एक प्रेस विज्ञप्ति जारी की। इसमें यह कहा गया कि कर्मचारियों की शिकायतें बाहरी तत्वों द्वारा गुमराह की गई हैं और इसका उद्देश्य केवल अतिरिक्त लाभ प्राप्त करना है। सेबी ने यह भी बताया कि ग्रेड ए अधिकारियों के प्रवेश स्तर के वेतन पहले से ही 34 लाख रुपये प्रति वर्ष है और नए मांगों के अनुसार, इसमें और 6 लाख रुपये प्रति वर्ष की वृद्धि की जरूरत होगी।

सेबी ने कर्मचारियों के तकनीकी कौशल को बढ़ावा देने के लिए अपने प्रयासों पर भी जोर दिया। इसके अलावा, उन्होंने कर्मचारियों पर अपारदर्शी रिपोर्टिंग और KRA उपलब्धियों में गड़बड़ी करने का आरोप लगाया।

भविष्य की दिशा

इस विरोध प्रदर्शन ने सेबी के भीतर गहरी असंतोष की हालत को उजागर किया है। कर्मचारियों और प्रबंधन के बीच इस तनावपूर्ण स्थिति को कैसे सुलझाया जाएगा, यह देखना बाकी है। लेकिन इस मामले ने भारतीय कारपोरेट जगत में एक महत्वपूर्ण चर्चा की दिशा तय कर दी है।

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