
केरल में RSS पुक्कलम पर FIR: 24‑27 कार्यकर्ताओं पर कार्रवाई
केरल के कोल्लम जिला में ओणम थिरुओनम उत्सव के दौरान परथासरथी मंदिर के द्वार पर बनाई गई पुक्कलम में RSS का ध्वज और "ऑपरेशन सिंधूर" शब्द दिखाने पर केरल पुलिस ने 4 सितंबर 2024 को FIR दर्ज की। यह कदम असोकन सी, मंदिर समिति के एक office‑bearer, की शिकायत पर लिया गया, जिसने कहा कि यह कार्य केरल हाई कोर्ट के आदेशों का उल्लंघन है, जिसमें मंदिर परिसर में किसी भी राजनीतिक प्रतीक को लगाना मनाही है।
पृष्ठभूमि: मंदिरों में राजनीति का इतिहास
केरल में कई सालों से राजनीतिक संगठनों को धार्मिक स्थल पर मंच बनाने के लिए प्रतिबंध है। 2022 में कोल्लम के कड़क्कड़ में भी समान विवाद हुआ था, जहाँ एक संगीत कार्यक्रम में RSS का नारा गाया गया था, जिससे बड़ी बहस छिड़ गई। उसी वर्ष सीपीआई(एम) के गीतों को पुक्कलम में शामिल करने पर पुलिस ने कई कार्यकर्ताओं को दरज़ किया था। इन घटनाओं ने यह स्थापित किया कि राज्य की अदालतें और पुलिस दोनों ही धार्मिक उत्सव को शांतिपूर्ण बनाए रखने के लिए कड़ी रेखा खींच रही हैं।
FIR की सामग्री और कानूनी आधार
पुलिस ने FIR में भारतीय न्याया संहिता की धारा 223 (सार्वजनिक अधिकारी द्वारा वैध रूप से जारी आदेशों की अवहेलना), 192 (उत्पीड़न का इरादा) और 3(5) (समूह द्वारा आपराधिक कृत्य) का हवाला दिया है। FIR के अनुसार, कार्यकर्ता न केवल ध्वज लगा रहे थे, बल्कि लगभग 50 मीटर दूरी पर भवन में शिवाजी की छवि वाला फ्लेक्स बोर्ड भी स्थापित किया गया, जिससे संभावित दंगा उत्पन्न हो सकता था।
प्रतिक्रियाएँ: राजीव चंद्रशेखर से लेकर मंदिर समिति तक
केरल भाजपा के प्रमुख राजीव चंद्रशेखर ने FIR को "शर्मीला और बागी" कहा। उन्होंने कहा, "ऑपरेशन सिंधूर भारतीय सैनिकों की शक्ति और बहादुरी का प्रतीक है, इसे दमन करना हर सैनिक की अपमान है।" उन्होंने तत्काल FIR वापस लेने का आग्रह किया और कहा, "केरल कभी भी जामात‑ए‑इस्लामी या पाकिस्तान की धरती नहीं होगा।"
दूसरी ओर, मंदिर के एक अधिकारी ने स्पष्ट किया, "हमारी नीति स्पष्ट है – कोई भी राजनीतिक झंडा, गीत या नारा त्योहारी समय में नहीं होना चाहिए।" उन्होंने कोर्ट के आदेशों का पूरा सम्मान करने की अपील की।
व्यापक प्रभाव: समाज‑राजनीतिक परिप्रेक्ष्य
यह मामला सिर्फ एक छोटे गांव की पुक्कलम नहीं है; यह केरल में धार्मिक‑राजनीतिक तनाव के एक बड़े धागे की गूँज है। यदि FIR को हटाया गया तो राजनीतिक दलों के बीच “पहले‑से‑पहले” समझौते पर भरोसा टुट सकता है, जिससे भविष्य में और अधिक टकराव की संभावना बनी रहेगी। दूसरी ओर, अगर कार्रवाई कठोर रही तो विरोधी पार्टियों के नज़रिये से यह धार्मिक स्वतंत्रता के विरुद्ध कदम माना जा सकता है, जिससे सामाजिक असंतोष बढ़ेगा।
आगे क्या हो सकता है?
केरल हाई कोर्ट ने पहले ही कई बार चेतावनी दी थी कि मंदिर में किसी भी तरह का राजनीतिक संबोधन नहीं होना चाहिए। अब अदालत को यह देखना होगा कि FIR में लगाए गए आरोप ठोस हैं या नहीं, और क्या आरोपियों को किसी प्रकार की दंड प्रक्रिया का सामना करना पड़ेगा। कुछ legal experts का मानना है कि यदि आरोपियों ने सच में सार्वजनिक व्यवस्था को नुकसान पहुँचाने का इरादा नहीं रखा, तो उन्हें हल्का जुर्माना या चेतावनी से ही काम चल सकता है। लेकिन राजनीति‑संबंधी मामलों में न्यायालय अक्सर पक्षपात रहित निर्णय देने की कोशिश करता है, इसलिए इस केस का परिणाम राज्य‑स्तरीय राजनीति में नई दिशा दे सकता है।
मुख्य तथ्य
- FIR 4 सितंबर 2024 को कोल्लम जिला, केरल में दर्ज
- 24‑27 RSS कार्यकर्ताओं पर आरोप
- ध्वज, "ऑपरेशन सिंधूर" शब्द, और शिवाजी फ्लेक्स बोर्ड शामिल
- केरल हाई कोर्ट के आदेशों का सीधे उल्लंघन
- राजीव चंद्रशेखर ने FIR को "सिडीयस" कहा
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
FIR किन कारणों से दर्ज की गई?
पुलिस ने बताया कि पुक्कलम में RSS का ध्वज और "ऑपरेशन सिंधूर" शब्द लगाना केरल हाई कोर्ट के निषेध के विरुद्ध था, और इससे संभावित दंगा उकसाने की संभावना थी, इसलिए धारा 223, 192 और 3(5) के तहत FIR दर्ज की गई।
केरल के मूलभूत नियम क्या हैं?
केरल हाई कोर्ट ने स्पष्ट आदेश जारी किया है कि कोई भी राजनैतिक झंडा, नारा या प्रतीक धार्मिक स्थल पर नहीं दिखाया जा सकता; यह नियम सभी धर्म, त्यौहार और सार्वजनिक समारोहों पर लागू होता है।
राजीव चंद्रशेखर का मुख्य तर्क क्या था?
उन्होंने कहा कि "ऑपरेशन सिंधूर" भारतीय सेना की शौर्य का प्रतीक है और इसे दमन करना सैनिकों की अपमानना है; इसलिए उन्होंने FIR को हटाने और इसे "शर्मीला और बागी" कहने की मांग की।
क्या भविष्य में इसी तरह की घटनाएँ दोहराई जा सकती हैं?
यदि राजनीतिक दलों ने कोर्ट के आदेशों का सम्मान नहीं किया, तो ऐसे मामलों की संभावना बनी रहेगी। हालाँकि, अदालत और पुलिस दोनों ही अनुशासन बनाए रखने के लिए कड़ी नजर रख रहे हैं, इसलिए भविष्य में ऐसे संघर्षों को रोकने के लिये अग्रिम समझौते आवश्यक हैं।
Aswin Yoga
मैं एक पत्रकार हूँ और भारत में दैनिक समाचारों के बारे में लेख लिखता हूँ। मेरा उद्देश्य समाज को जागरूक करना और सही जानकारी प्रदान करना है।
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