कोच्चि की डच-केरल प्रेम कहानी: एक बेकरी की अद्भुत शुरुआत

कोच्चि की डच-केरल प्रेम कहानी: एक बेकरी की अद्भुत शुरुआत

समीर चौधरी
समीर चौधरी
अक्तूबर 16, 2024

प्रेम और समर्पण की कहानी: कोच्चि की ज़ेरा नोया बेकरी

कहानियाँ अक्सर प्रेम, समर्पण और संघर्ष के मिलन से बनती हैं। कोच्चि की ज़ेरा नोया बेकरी भी एक ऐसी कहानी का परिचायक है, जहां एक डच महिला सारा लीसा ने अपने और अपने पति की साझा विरासत को संजोया है। यह बेकरी न केवल एक व्यावसायिक परियोजना है, बल्कि यह उनके जीवन के महत्वपूर्ण पहलुओं को सजीव करने का एक साधन भी है। सारा, जो मूल रूप से नीदरलैंड्स की हैं, कोच्चि में बेकरी चलाती हैं, जो अब उनके जीवन की एक महत्वपूर्ण यात्रा बन गई है।

सारा की यात्रा तब शुरू हुई जब उन्होंने केरल के एक मरीन इंजीनियर विभिन वर्गीज के साथ विवाह किया। उनके प्रेम की कहानी जितनी सुंदर थी, उतनी ही चुनौतीपूर्ण भी। विभिन, जिनके साथ सारा ने ज़िंदगानी के अच्छे और बुरे पलों को साझा किया, को कैंसर जैसी गंभीर बीमारी ने छीन लिया। यह सारा के लिए एक गहरा आघात था।

सारा और विभिन ने लॉकडाउन के दौरान 2020 में ज़ेरा नोया नामक बेकरी की स्थापना की। ज़ेरा नोया का अर्थ है ‘एक सुंदर शुरुआत’, और इस नाम के पीछे की प्रेरणा उनके जीवन के एक नए अध्याय की शुरुआत थी। इस बेकरी ने शीघ्र ही स्वयं को कोच्चि के खाद्य प्रेमियों के बीच स्थापित कर लिया। यहां की पारंपरिक डच मिठाइयाँ जैसे बोटरकूक और स्लोफेन लोगों के बीच बेहद लोकप्रिय हो गईं।

ज़ेरा नोया के इस सफर में सारा का पेशेवर कौशल बड़ी भूमिका अदा करता है। उन्होंने 16 साल की उम्र से बेकिंग में प्रशिक्षण लिया और कुशलता प्राप्त की। उनकी विशेषज्ञता ने बेकरी को एक अलग और खास पहचान दिलाई है। यह उनकी दृढ़ता और अनुशासन का नतीजा है कि इस बेकरी ने कोच्चि में अपने विशिष्ट स्थान की पहचान बनाई है।

स्मृति को समर्पित प्रयास

आज सारा अपनी बेकरी के व्यवसाय का एक हिस्सा कैंसर मरीजों की सहायता के लिए समर्पित करती हैं। यह उनके दिवंगत पति के प्रति एक श्रद्धांजलि है। विभिन के निधन के बाद, सारा ने इस बेकरी को न केवल एक व्यापारिक उपक्रम के रूप में देखा, बल्कि एक मंच के रूप में भी, जिसके माध्यम से वह अपने पति की स्मृति को जीवित रख सकती हैं और समाज की सेवा कर सकती हैं।

यह बेकरी न केवल डच मिठाइयों के लिए प्रसिद्ध है बल्कि यह एक संदेश का माध्यम भी है। वह संदेश जो यह दर्शाता है कि आपसी प्रेम और समर्पण कठिन परिस्थितियों में भी जीवन में जोश बनाए रख सकते हैं। सारा का स्वभाव लोगों को प्रेरित करता है कि कैसे विपरीत परिस्थितियों में भी उम्मीद नहीं खोई जाती और जिम्मेदारियों को समझते हुए आगे बढ़ा जाता है।

कोच्चि की इस बेकरी ने समाज के अनेक स्तरों पर एक सकारात्मक प्रभाव डाला है। यहां नियमित रूप से आने वाले लोग न केवल स्वादिष्ट व्यंजन का आनंद लेते हैं, बल्कि सारा की कहानी से भी प्रेरणा प्राप्त करते हैं। ज़ेरा नोया के माध्यम से सारा ने यह दिखाया है कि कभी-कभी कठिनाइयाँ हमें वह साहस देती हैं जिससे हम नयी ऊँचाइयों को छू सकते हैं।

उद्यमशीलता और समाज सेवा का संगम

सारा का उद्यमशीलता का दृष्टिकोण और समाज सेवा का जज्बा इस बेकरी को और भी खास बनाता है। यह एक ऐसा उदाहरण पेश करता है कि किस प्रकार एक उद्यम किसी के व्यक्तिगत सपनों का प्रकाशन हो सकता है और साथ ही सामाजिक उत्तरदायित्व की भी पूर्ति कर सकता है।

समाज में व्यवसायियों के लिए यह एक उत्तम उदाहरण है, जो उद्यमशीलता के साथ-साथ सामाजिक दायित्वों का निर्वहन भी करते हैं। सारा के इस प्रयास ने उन्हें एक सफल और व्यापारिक दृष्टिकोण के साथ एक संवेदनशील समाजसेवी के रूप में स्थापित किया है।

ज़ेरा नोया बेकरी हमें सिखाती है कि प्रेम और शक्ति का मिलन जीवन में जोश को बनाए रखता है। सारा लीसा का यह प्रयास प्रेरणा देता है कि हर चुनौती में भी एक संभावना छिपी होती है और हर नौजवान उद्यमी के लिए सीखने के लिए एक कहानी होती है।

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