मदर्स डे 2024: इतिहास, महत्व, उत्सव और व्यापारिकरण के खिलाफ संघर्ष

मदर्स डे 2024: इतिहास, महत्व, उत्सव और व्यापारिकरण के खिलाफ संघर्ष

समीर चौधरी
समीर चौधरी
मार्च 30, 2025

मदर्स डे 2024: एक अनोखी शुरुआत

मदर्स डे 2024 को 12 मई को पूरी दुनिया में मनाया जाएगा। यह दिन खास है क्योंकि इसे माताओं के त्याग, प्रेम, और उनके असाधारण सामाजिक योगदान को मान्यता देने के लिए अनुयोजित किया गया है। इसकी शुरुआत 1908 में अन्ना जार्विस की ओर से हुई थी, जिन्होंने अपनी माँ ऐन रीव्स जार्विस की याद में इस दिन को स्थापित किया।

ऐन रीव्स जार्विस अमरीकी गृहयुद्ध के बाद समाज में शांति और सामंजस्य फैलाने के लिए 'मदर्स वर्क क्लब्स’ का आयोजन करती थीं। अन्ना ने 1914 में अमेरिका के राष्ट्रीय अवकाश के रूप में मदर्स डे को मान्यता दिलाई। परंतु, आगे चलकर इस दिन के उत्सव का व्यापारिकरण होने के कारण अन्ना इससे असहमत हो गईं और उनके द्वारा इसका विरोध किया गया।

मदर्स डे: सांस्कृतिक विविधता के रंग

मदर्स डे का महत्व विभिन्न संस्कृतियों में अलग-अलग तरीकों से मनाया जाता है। भारत में, इसे परिवार के साथ जश्न मनाने और उपहार देने के रूप में मनाया जाता है। इंग्लैंड में, बच्चे अपने माता-पिता को हाथ से बने कार्ड और फूल भेंट करते हैं। जापान में, लाल कार्नेशन्स के माध्यम से मातृत्व के प्रति प्रेम व्यक्त किया जाता है। जबकि मैक्सिको में कविता और संगीत के माध्यम से माताओं का सम्मान किया जाता है।

नेपाल में 'माता तिर्था औंसी’ एक धार्मिक त्योहार के रूप में विशेष मातृत्व को समर्पित है, जिसमें सभी माताओं का सम्मान किया जाता है। मदर्स डे के इस उत्सव की जड़ें यूनानी और रोमन परंपराओं में प्राचीन वसंत त्योहारों से लेकर इंग्लैंड के 'मदरिंग संडे’ जैसी ईसाई परंपराओं तक फैली हुई हैं।

अन्ना जार्विस का उद्देश्य था कि यह दिन मातृत्व के प्रति सच्ची और भावपूर्ण अभिव्यक्ति के जरिये मनाया जाए। हालांकि, आज यह दिन व्यापारिक गतिविधियों के कारण इसकी वास्तविक भावना से दूर होता जा रहा है। लेकिन इसके बावजूद यह दिन मातृत्व के प्रति सार्वभौमिक सम्मान का प्रतीक बना हुआ है।

एक टिप्पणी लिखें