कोलंबो में भारत‑पाकिस्तान महिला क्रिकेट: हाथ न मिलाने का फैसला

कोलंबो में भारत‑पाकिस्तान महिला क्रिकेट: हाथ न मिलाने का फैसला

Aswin Yoga
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अक्तूबर 6, 2025

जब हर्मनप्रीत कौर, कप्तान भारतीय महिला क्रिकेट टीम, ने टॉस के समय भारतीय क्रिकेट बोर्ड (BCCI) के निर्देशों का पालन किया और फ़ातिमा साना से हाथ नहीं मिला, तो यह सिर्फ एक छोटा शिष्टाचार नहीं रहा—यह दो देशों के बीच चल रहे कूटनीतिक तनाव का नया अध्याय बन गया। यह घटना 5 अक्टूबर 2025 को कोलंबो के आर. प्रेमदास स्टेडियम में हुए आईसीसी महिला विश्व कप 2025कोलंबो, श्रीलंका के मैच में घटी।

पृष्ठभूमि और राजनीतिक तनाव

यह ‘हाथ नहीं मिलाना’ नीति पहली बार सुर्यकुमार यादव, भारतीय पुरुष टीम के कप्तान, ने पिछले महीने दुबई में आयोजित एशिया कप के दौरान अपनाई थी। उन्होंने पाकिस्तानी कप्तान सलमान अख़ा से हाथ मिलाने से इनकार कर दिया, बाद में जीत को पहाल्गाम आतंकवादी हमले के शहीदों को समर्पित किया। यह कदम BCCI की ओर से आधिकारिक समर्थन मिला, जिसके बाद डेविड सिका, BCCI के सचिव, ने स्पष्ट किया कि महिलाओं की टीम भी यही रुख अपनाएगी।

कश्मीर में 2025 की शुरुआती महीनों में हुई घातक हमले ने दोनों देशों में क्रिकेट संबंधों को तीव्र रूप से बिगाड़ दिया। तब से न केवल टूर नहीं होंगी, बल्कि टrophies तक की हाथ‑पहीयों में भी अंतर आया है। एशिया कप के बाद भारत ने ACC अध्यक्ष और PCB चेयरमैन मोहसिन नक़वी, जो पाकिस्तान के इंटीरियर मिनिस्टर भी हैं, से ट्रॉफी नहीं ली, जिससे विवाद और बढ़ गया।

मैच की तैयारी और विवाद

मैच से पहले टॉस में एक बेतहाशा गड़बड़ी हुई। मेल जॉन्स, ऑस्ट्रेलिया के प्रसारक, ने गड़बड़ी से घोषणा कर "हेड्स" कहा, जबकि फ़ातिमा साना ने "टेल्स" कहा था। रेफरी शैंड्रे फ्रीट्ज़ ने इस त्रुटि को नोट नहीं किया और टॉस पाकिस्तान को दे दिया। इससे पाकिस्तान को पहले बैटिंग करने का अधिकार मिला।

कोलंबो की उमस भरी शाम में दो बार उड़ते हुए कीटों ने खेल को बाधित किया—खिलाड़ी और स्टाफ दोनों को झुंझलाहट का सामना करना पड़ा। दोनों टीमों ने प्री‑मैच वॉर्म‑अप भी अलग‑अलग किनारों से किया, क्योंकि भारत के हेड कोच अमोल मुज़ुंदर ने सुरक्षा कारणों से टीम को अलग‑अलग रख दिया।

भारतीय कप्तान हर्मनप्रीत कौर ने कहा, "हम सकारात्मक सोच रहे हैं, लेकिन हमारी एलेन हॉल्डर रोग है, इसलिए हम टीम को पुनः संगठित कर रहे हैं।" उन्होंने यह भी बताया कि अमनजोत कौर के बुख़ार के कारण उन्हें लवाक़त खिलाड़ी रेनुका सिंह ठाकुर से बदलना पड़ा।

खेल का प्रदर्शन और आँकड़े

भारत ने 50 ओवर में 247 रन बनाए। सबसे बड़ा योगदान रिचा घोष ने दिया, जो 20 गेंदों में 35* बना कर तेज़ी से स्कोर बोर्ड को घुमा दिया। उसके बाद हर्लीन देओल ने 65 गेंदों में 46 रन बनाकर अंशदान दिया। जेमिमाह रोड्रिगेज़ ने 37 गेंदों में 32 रन बनाए, और प्रतिका रावल ने 37 गेंदों में 31 रन जुटाए।

पाकिस्तानी गेंदबाज डायना बैग ने 4/69 के साथ सबसे अधिक विकेट लिए, जबकि कप्तान फ़ातिमा साना ने 2/38 और बाएँ‑हाथी स्पिनर सादिया इकबाल ने 2/47 की अच्छी कसौटी पेश की। भारत की जीत की संभावना स्थिर थी—इंजीनियरिंग हिसाब से 11-0 का हेड‑टू‑हेड रिकॉर्ड और पारिवारिक दबाव दोनों ही पक्ष में थे। अंत में भारत ने 247 पर 48 वैकिल्स के साथ लक्ष्य हासिल किया, जबकि पाकिस्तान को यह लक्ष्य अभी तक नहीं मिल पाया।

प्रतिक्रियाएँ और भविष्य की संभावनाएँ

प्रतिक्रियाएँ और भविष्य की संभावनाएँ

मैच के बाद भारतीय मीडिया ने इस ‘हाथ नहीं मिलाना’ को ‘सिंह की तलवार’ के रूप में प्रशंसा किया, जबकि पाकिस्तानी रिपोर्टिंग ने इसे ‘स्पोर्ट्स में राजनीति का घुसपैठ’ कहा। BCCI के मुख्य अधिकारी ने सार्वजनिक रूप से कहा, "हमारा संदेश साफ़ है—हमारा खेल हमारी शान है, लेकिन सुरक्षा और राष्ट्रीय गरिमा के बिना हम नहीं खेलेंगे।" पाकिस्तान के PCB ने फिर भी कहा कि हाथ मिलाना कोई ‘बड़े मुद्दे’ नहीं है, लेकिन टीम की भावना पर असर पड़ता है।

अगले महीने में आईसीसी महिला विश्व कप के क्वार्टर फाइनल में भारत को ऑस्ट्रेलिया या वेस्ट इंडीज़ से सामना करना पड़ सकता है। यदि ‘हाथ नहीं मिलाना’ नीति जारी रही, तो यह अंतरराष्ट्रीय मंच पर एक नई प्रोटोकॉल बन सकती है—जैसे कि ‘सुरक्षा‑जाँच के बाद ही क़दम‑क़दम’। विशेषज्ञ मानते हैं कि अगर 2027 तक दोनों देशों के बीच सामान्य क्रिकेट संवाद नहीं हुआ, तो युवा खिलाड़ियों को भी निरंतर इन विवादों का सामना करना पड़ेगा।

ऐतिहासिक तुलना और प्रभाव

1990 के दशक में भारत‑पाकिस्तान का क्रिकेट द्वंद्व अक्सर ‘पोलिटिकल बीट’ बन जाता था, लेकिन हाथ मिलाने की परंपरा हमेशा बनी रहती थी। अब पहली बार दोनों पुरुष और महिला टीमें एकसाथ शिष्टाचार छोड़ रही हैं। यह बदलाव असामान्य है—जैसे कि 2004 में भारत ने ‘शापित मैदान’ के कारण दक्षिण अफ़्रीका में मैच नहीं खेला था। आज की स्थिति, जहाँ दोनों पक्षों ने दोहराव के साथ ‘हाथ नहीं मिलाना’ को रिवर्स्ड ट्रीडिशन बना दिया है, यह दर्शाता है कि खेल भी कूटनीति की एक बारिक कुंची बन चुका है।

यदि इस प्रवृत्ति को जारी रखा गया, तो ICC को भविष्य में ‘हैंड शेक प्रोटोकॉल’ पर पुनर्विचार करना पड़ सकता है, जिससे विश्व भर में खेल की लोकप्रियता और बंधुता पर असर पड़ सकता है।

Frequently Asked Questions

हाथ नहीं मिलाने की नीति का खेल पर क्या असर पड़ा?

नीति ने दोनों टीमों के बीच भावनात्मक तनाव बढ़ा दिया, लेकिन तकनीकी तौर पर मैच का परिणाम नहीं बदला। भारतीय बल्लेबाजों ने 247 रन बनाकर जीत हासिल की, जबकि पाकिस्तान के गेंदबाजों ने भी अच्छी गेंदबाजी दिखाई। हालांकि, इस कदम से दर्शकों की प्रतिक्रिया मिली-जुली रही—कुछ ने इसे राष्ट्रीय गौरव माना, तो कुछ ने खेल की भावना को नुकसान पहुँचाया कहा।

टॉस विवाद कैसे हुआ और इसका परिणाम क्या रहा?

टॉस के दौरान इंग्लिश कमेंटेटर मेल जॉन्स ने कैंपेन के बाद ‘हेड्स’ घोषित किया, जबकि फ़ातिमा साना ने ‘टेल्स’ कहा था। रेफ़री शैंड्रे फ्रीट्ज़ ने इस त्रुटि को नोट नहीं किया और टॉस पाकिस्तान को दे दिया, जिससे उन्हें पहले बैटिंग करने का फायदा मिला। इस कारण पाकिस्तान ने प्रारम्भिक गेंदबाजी में हल्की गति रखी, लेकिन अंततः लक्ष्य हासिल नहीं कर पाए।

भारत की महिला टीम ने इस मैच में कौनसे खिलाड़ी प्रमुख थे?

रिचा घोष ने 35* रन बनाकर तेज़ी से स्कोर बढ़ाया, और हर्लीन देओल ने 46 रन का स्थिर योगदान दिया। जेमिमाह रोड्रिगेज़ और प्रतिका रावल ने भी क्रमशः 32 और 31 रन बनाए। गेंदबाजी में रेणुका सिंह ठाकुर ने अमनजोत कौर के स्थान पर प्रवेश किया और कुछ महत्वपूर्ण ओवर फेंके।

भविष्य में भारत‑पाकिस्तान महिला क्रिकेट में संभावित बदलाव क्या हो सकते हैं?

यदि दोनों देशों के बीच राजनीतिक तनाव जारी रहता है, तो अगले बड़े टूर्नामेंट तक इन दोनों टीमों के बीच प्रत्यक्ष मुकाबले मुश्किल हो सकते हैं। ICC को संभावित रूप से ‘हैंड शेक एसीडेंट’ पर नियम बनाना पड़ सकता है, और दोनों बोर्डों को एक नई डिप्लोमैटिक समझौता करना पड़ेगा ताकि युवा खिलाड़ियों को खेल का सही माहौल मिल सके।

क्यों भारत ने पाकिस्तान के साथ घरेलू मैदान में खेलने से इंकार किया?

2025 की कश्मीर आतंकवादी हमले के बाद सुरक्षा खतरे बढ़ गए, और दोनों देशों ने 2027 तक एक‑दूसरे के गृह मैदान में क्रिकेट नहीं खेलने का समझौता किया। इस कारण विश्व कप के कई मैच तटस्थ देशों—जैसे श्रीलंका—में खेले जा रहे हैं, जिससे खिलाड़ियों को भी अतिरिक्त यात्रा और अनुकूलन की चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है।

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