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ऋद्धिमान साहा की विदाई: भारत के गुप्त हीरो विकेटकीपर-बल्लेबाज का करियर
भारत के गुप्त हीरो ऋद्धिमान साहा का संन्यास
भारतीय क्रिकेट के इतिहास में कई ऐसे नाम रहे हैं जिन्होंने अपनी अद्वितीय प्रतिभा से सभी को प्रभावित किया, पर उनके नाम को वह प्रसिद्धि नहीं मिल सकी जो उनके योगदान के योग्य थी। ऋद्धिमान साहा ऐसे ही एक खिलाड़ी हैं। भारतीय क्रिकेट के इस गुप्त हीरो ने सभी प्रकार की क्रिकेट से संन्यास लेकर अपने लंबे और अद्वितीय करियर का समापन किया। क्रिकेट प्रेमियों के लिए यह न केवल एक चौंकाने वाली खबर थी, बल्कि भावनात्मक भी। साहा ने अपनी विदाई के समय क्रिकेट और अपने सहयोगियों के प्रति आभार व्यक्त किया।
ऋद्धिमान साहा का अद्वितीय करियर
ऋद्धिमान साहा के करियर का आरंभ 2010 में भारतीय टेस्ट टीम में उनके चयन से हुआ था। 40 टेस्ट मैचों में 1,353 रन और 29.41 के औसत से बनाए गए, हालांकि उनकी असली पहचान उनकी विकेटकीपिंग के कारण बनी। साहा का विकेटकीपिंग कौशल असाधारण था, उन्हें उनके साथी रिषभ पंत ने भी सराहा। साहा ने टेस्ट क्रिकेट में 100 विकेटकीपिंग डिसमिसल किए, जो उनके कौशल की प्रमुखता को दर्शाता है।
घरेलू और आईपीएल करियर
साहा का घरेलू क्रिकेट का रिकॉर्ड भी काबिले तारीफ है। बंगाल के लिए खेलते हुए उन्होंने फर्स्ट-क्लास क्रिकेट में 7,169 रन बनाए, जिनमें 14 शतक और 44 अर्धशतक शामिल हैं। आईपीएल के संदर्भ में उनका प्रदर्शन भी शानदार रहा। 2014 के आईपीएल फाइनल में किंग्स XI पंजाब के लिए बनाए गए शतक को भला कौन भूल सकता है। साथ ही, गुजरात टाइटन्स के साथ 2022 में खिताब जीतकर उनकी सफलता की गाथा और भी सशक्त हो गई।
संघर्ष की गाथा
ऋद्धिमान का करियर संघर्ष, धैर्य और दृढ़ संकल्प की कहानी है। महेंद्र सिंह धोनी और फिर रिषभ पंत जैसे खिलाड़ियों की छत्रछाया के बावजूद, साहा ने कभी हार नहीं मानी। अपने मौके का इंतजार किया और जब-जब मौका मिला, उन्होंने अपनी काबिलियत साबित की। 2018 में दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ एक मैच में 10 कैच पकड़ने वाले पहले भारतीय विकेटकीपर बनकर उन्होंने अपना अलग मुकाम बनाया।
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भविष्य की योजनाएं और योगदान
ऋद्धिमान साहा के संन्यास के बाद भारतीय क्रिकेट में उनकी छवि कभी न भूलने योग्य रहेगी। साहा की विकेटकीपिंग और बल्लेबाजी की अद्वितीयता उन्हें भारतीय क्रिकेट के सबसे बेहतरीन विकेटकीपरों में से एक बनाती है। साहा की विदाई उनके टीममेट्स के लिए एक भावनात्मक पल था, जब उन्होंने अपने अंतिम रणजी ट्रॉफी मैच में गार्ड ऑफ ऑनर प्राप्त किया। यह सिर्फ एक खिलाड़ी को अंतिम विदाई नहीं थी, बल्कि क्रिकेट को दिए गए उनके योगदान की भी सराहना थी।
अपनी विदाई के समय साहा ने एक दिल छू लेने वाला संदेश दिया, जिसमें उन्होंने कहा कि क्रिकेट ने उन्हें जो कुछ भी दिया, उसके लिए वे आभारी हैं। उनका संकल्प और समर्पण युवा क्रिकेटरों के लिए प्रेरणा के स्रोत के रूप में रहेगा।
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समीर चौधरी
मैं एक पत्रकार हूँ और भारत में दैनिक समाचारों के बारे में लेख लिखता हूँ। मेरा उद्देश्य समाज को जागरूक करना और सही जानकारी प्रदान करना है।
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