
भारत के पश्चिम‑पूर्वी तट को खतरे में दो साइक्लोन: शाक्ति और नाजी
जब इंडिया मीटिओरोलॉजी डिपार्टमेंट (IMD) ने 22 मई 2025 को चेतावनी जारी की, तो भारत को द्वि‑साइक्लोन की असामान्य स्थिति का सामना करना पड़ा। रिपोर्ट में बताया गया कि अरब सागर में साइक्लोन शाक्ति बनना शुरू होगा, जबकि पाँच दिन बाद बंगाल की खाड़ी में साइक्लोन नाजी के विकास की संभावना दिखी। दोनों प्रणाली 22‑28 मई के बीच क्रमशः भारत के पश्चिमी और पूर्वी तटों पर भारी‑बारिश लाने की तैयारियां कर रही थीं।
द्वि‑साइक्लोन की दुर्लभता: इतिहास की एक झलक
पिछले दो दशक में केवल दो बार भारत में एक ही महीने में दो साइक्लोन बनते देखे गये हैं। 1999‑साल का साइक्लोन ओम और 2010‑साल का साइक्लोन ग्रिफ़िन दोनों ने अलग‑अलग समुद्री क्षेत्रों से उभरे थे, पर उनका बैंड एक‑दूसरे को प्रभावित नहीं कर पाया। अब शाक्ति‑नाजी का मिलन यह दर्शाता है कि मोनसून के संक्रमण चरण में जलवायु परिवर्तन के कारण समुद्री‑तापमान असामान्य रूप से ऊँचा हो गया है।
साइक्लोन शाक्ति: अरब सागर की अंधेरी धुंध
IMD ने बताया कि 22 मई की रात के दौरान अरब सागर के मध्य‑पूर्वी हिस्से में एक डिप्रेशन विकसित हो रहा है। यदि यह दो‑तीन दिनों में तेज़ी से गहन होता है, तो इसे शाक्ति नाम दिया जाएगा। इस प्रणाली के पश्चिमी किनारे पर महाराष्ट्र, गौरा तथा कर्नाटक राज्य भारी‑बारिश, धूप‑तूफ़ान और समुद्र में लहरें देखेंगे।
वैज्ञानिकों का मानना है कि शाक्ति के शुरुआती चरण में ही समुद्र सतह का तापमान 31 °C से ऊपर था, जो साइक्लोन निर्माण के लिए आवश्यक ऊर्जा प्रदान करता है। इस कारण IMD ने 22‑28 मई के बीच अल्पावधि में 150 mm से 250 mm तक की संभावित वर्षा का अंदाज़ा लगाया है।
साइक्लोन नाजी: बंगाल की खाड़ी में नया खतरा
दूसरी ओर, 27 मई को बंगाल की खाड़ी के उत्तर‑पश्चिमी भाग में एक लो‑प्रेशर एरिया तैयार हो रहा था। IMD ने इसे नाजी नाम दिया, जिसका संभावित विकास 120‑144 घंटों में डिप्रेशन से साइक्लोन तक हो सकता है। इस प्रणाली से ओडिशा, पश्चिम बंगाल और आंध्र प्रदेश में तेज़‑बारिश और समुद्री लहरें आएँगी।
नाजी के विकास में दक्षिण अंडमान सागर की नमी भी भूमिका निभा रही है। विशेषज्ञों ने बताया कि अगर नाजी 28 मई के बाद उभरे तो 200 mm से अधिक की वर्षा के साथ तेज़ वायु गति (40‑50 km/h) की संभावना है।
राज्य‑स्तर की तैयारियां और चेतावनियां
पश्चिमी तट पर जलप्रबंधन विभाग ने पहले ही सभी जलाशयों की गहराई माप ली है और संभावित बाढ़‑नियंत्रण उपायों की सूची तैयार की है। महाराष्ट्र में कोलाबा, गोवा में पुयरी और कर्नाटक में येल्लापुड़ी में जलनिकासी के लिए अतिरिक्त पंप लगाए गये हैं। उसी समय, पूर्वी तट के प्रशासन ने ओडिशा के पुरी, पश्चिम बंगाल के कोलकाता और आंध्र प्रदेश के विषाखापट्टनम में आपातकालीन रेस्क्यू टीमों को तैनात किया है।
इसी बीच, IMD ने सभी प्रभावित राज्यों को धूसर‑वायु चेतावनी जारी की है, जिससे स्कूल बंद, परिवहन में व्यवधान और समुद्र तटों पर मत्स्यकाजी गतिविधियों में प्रतिबंध लग सकता है। कुछ क्षेत्रों में पहले ही बाढ़‑ग्रस्त क्षेत्रों में रहने वाले लोगों को उच्चतम चेतावनी स्तर (हीट‑अलर्ट) दिया गया है।
भविष्य की चुनौतियां और आपदा प्रबंधन की राह
एक ही समय में दो साइक्लोन का सामना करना भारतीय आपदा प्रबंधन एजेंसियों के लिए नया मोड़ है। एक तरफ पश्चिमी तट पर जल‑संकट, दूसरी ओर पूर्वी तट पर बाढ़‑उपज, दोनों को एक साथ संभालना लॉजिस्टिक और संसाधन‑सहायता के लिहाज़ से कठिन है। विशेषज्ञों का मानना है कि इस स्थिति से निपटने के लिए सेंट्रल कमांड को दो‑पक्षीय रणनीति अपनानी होगी—पहले पश्चिमी तट पर नज़र रखना, फिर पूर्वी तट पर त्वरित प्रतिक्रिया देना।
उपरोक्त कारणों से, सरकार ने आपातकालीन वित्तीय कोष को तत्काल 2 अरब रुपये के अतिरिक्त रिलीज़ की घोषणा की है, ताकि राहत कार्यों में देरी न हो। साथ ही, समुद्री पोर्टों पर टॉप‑ऑफ़‑सिस्टर चक्रवात चेतावनी प्रणाली को भी सक्रिय किया गया है। यह सब दर्शाता है कि द्वि‑साइक्लोन की चुनौती के सामने भारत की तैयारियां कितनी व्यापक और तेज़ होनी चाहिए।
मुख्य तथ्य
- IMD ने 22 मई को साइक्लोन शाक्ति (अरब सागर) और 27 मई को साइक्लोन नाजी (बंगाल की खाड़ी) की संभावना जताई।
- शाक्ति के कारण महाराष्ट्र‑गोवा‑कर्नाटक में 150‑250 mm की औसत वर्षा, नाजी के कारण ओडिशा‑पश्चिम बंगाल‑आंध्र प्रदेश में 200 mm से अधिक की वर्षा का अनुमान।
- दोनों तटों में समुद्र का स्तर 0.5‑1 m तक बढ़ सकता है, जिससे दो‑तीन बड़े पोर्टों में माल‑रिवर्स के जोखिम में वृद्धि।
- सरकार ने आपातकालीन राहत के लिए 2 अरब रुपये का अतिरिक्त बजट मंजूर किया।
- किसान, मत्स्यकर्मी और पर्यटन व्यवसायियों को संभावित नुकसान को कम करने हेतु विशेष भत्ता प्रदान किया जाएगा।

Frequently Asked Questions
साइक्लोन शाक्ति और नाजी के बनावट में क्या अंतर है?
शाक्ति अरब सागर के मध्यम‑आशियाई भाग में गर्म जल द्वारा उत्पन्न हुई, जबकि नाजी बंगाल की खाड़ी में अधिक नमी और तटीय कमPRESSION के कारण बन रही है। शाक्ति का विकास तेज़ी से होता है, पर नाजी को अधिक समय (120‑144 घंटे) लग सकता है।
कौन‑कौन से राज्य सबसे अधिक जोखिम में हैं?
पश्चिमी तट पर महाराष्ट्र, गोवा और कर्नाटक, तथा पूर्वी तट पर ओडिशा, पश्चिम बंगाल और आंध्र प्रदेश सबसे संवेदनशील क्षेत्र हैं। इन राज्यों ने पहले से ही आपदा‑प्रबंधन टीमें तैनात कर ली हैं।
बाजार में कृषि और मत्स्य उद्योग पर क्या असर पड़ेगा?
वृषभ‑बारिश से धान के खेतों में जल‑जमाव हो सकता है, जिससे निकास‑कृषि को नुकसान पहुँच सकता है। मत्स्यकायियों को समुद्र की लहरों और तेज़ हवाओं के कारण जाल‑ताशा में बाधा आएगी, इसलिए सरकार ने विशेष बीमा योजना लॉन्च की है।
IMD ने आगे की क्या चेतावनियां जारी की हैं?
IMD ने 22‑28 मई के बीच एक‑से‑दो बार सायनॉप्टिक अपडेट जारी करने का वादा किया है, साथ ही दोनों साइक्लोन के संभावित ट्रैक की रीयल‑टाइम मानचित्र भी उपलब्ध कराई जाएगी।
भविष्य में ऐसी द्वि‑साइक्लोन घटनाओं को रोकने के लिए क्या कदम उठाए जा रहे हैं?
वैज्ञानिकों ने समुद्री‑तापमान मॉनिटरिंग को सख़्त करने और कोऑर्डिनेटेड रिसर्च प्रोग्राम के तहत जलवायु‑परिवर्तन के प्रभावों का निरंतर अध्ययन करने का सुझाव दिया है। सरकार अब समुद्री‑सतह डेटा के लिए उन्नत सैटेलाइट नेटवर्क स्थापित कर रही है।
Aswin Yoga
मैं एक पत्रकार हूँ और भारत में दैनिक समाचारों के बारे में लेख लिखता हूँ। मेरा उद्देश्य समाज को जागरूक करना और सही जानकारी प्रदान करना है।
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