दिल्ली कोर्ट ने ध्रुव राठी को मानहानि मामले में तलब किया, भाजपा प्रवक्ता ने दायर किया मुकदमा
यूट्यूबर ध्रुव राठी और दिल्ली कोर्ट के बीच मानहानि का मामला
दिल्ली की एक अदालत ने प्रख्यात यूट्यूबर ध्रुव राठी और कुछ सोशल मीडिया मध्यस्थों को एक मानहानि मामले में तलब किया है। यह मामला भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की मुंबई इकाई के प्रवक्ता सुरेश करमशी नाखुआ ने दायर किया है। नाखुआ का आरोप है कि राठी ने एक हालिया वीडियो में उन्हें 'हिंसक और अपशब्द इस्तेमाल करने वाला ट्रोल' कहकर संबोधित किया है।
वीडियो का विवाद
ध्रुव राठी ने अपने एक वीडियो 'माई रिप्लाई टू गोदी यूट्यूबर्स | एलविश यादव | ध्रुव राठी' में, नाखुआ और कुछ अन्य भाजपा समर्थित व्यक्तियों के बारे में टिप्पणी की थी। इस वीडियो को लगभग 2 करोड़ 40 लाख उत्साही दर्शकों ने देखा है और इसे 23 लाख से अधिक लाइक्स भी मिले हैं। नाखुआ का आरोप है कि इस वीडियो में राठी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर आरोप लगाते हुए कहा था कि उन्होंने 'हिंसक और अपशब्द इस्तेमाल करने वाले ट्रोल्स जैसे अंकित जैन, सुरेश नाखुआ और तजिंदर बग्गा' को अपने आधिकारिक निवास पर बुलाया था। इस बयान ने गंभीर विवाद खड़ा कर दिया है।
मानहानि दावा
नाखुआ ने अपने मानहानि दावे में 20 लाख रुपये का मुआवजा मांगते हुए राठी पर आरोप लगाया है कि उन्होंने बिना किसी साक्ष्य के उन्हें और कुछ अन्य व्यक्तियों को अपमानित किया है। नाखुआ का कहना है कि इस तरह की झूठी और आधारहीन टिप्पणियां उनकी सार्वजनिक छवि को धूमिल करती हैं और उनकी प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचाती हैं। इसी कारण उन्होंने अदालत से राठी को नाखुआ से संबंधित किसी भी प्रकार की सामग्री पोस्ट करने से रोकने का आदेश देने का अनुरोध किया है।
अदालत की सुनवाई
अदालत ने मामले की गंभीरता को देखते हुए राठी और संबंधित सोशल मीडिया प्लेटफार्मों को तलब किया है। इस मामले की अगली सुनवाई अगस्त 6 को निर्धारित की गई है, जिसमें दोनों पक्ष अपनी दलीलों को प्रस्तुत करेंगे। यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि अदालत इस मामले में क्या निर्णय लेती है और इसके क्या नतीजे होते हैं।
सोशल मीडिया और मानहानि
यह मामला मौजूदा समय में सोशल मीडिया प्लेटफार्मों पर व्यक्त की गई सामग्री के प्रभाव और उसकी जिम्मेदारी के संदर्भ में महत्वपूर्ण है। सोशल मीडिया पर प्रतिभाशाली और मशहूर व्यक्तियों के बयान तेजी से वायरल होते हैं और आम जनता तक पहुंचते हैं। ऐसे में यह आवश्यक हो जाता है कि इस तरह की सामग्री सटीक और विश्वसनीय हो, ताकि किसी भी प्रकार के कानूनी विवाद से बचा जा सके।
इस मामले में ध्रुव राठी ने अपने वीडियो में जो टिप्पणियां की हैं, वे नाखुआ और अन्य भाजपा समर्थकों को गंभीर रूप से प्रभावित कर रही हैं। नाखुआ का कहना है कि उन्हें गलत तरीके से प्रस्तुत किया गया है और यह उनकी प्रतिष्ठा के खिलाफ है। अब यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि अदालत इस मामले में किस प्रकार का दिशा-निर्देश प्रदान करती है और इसका सोशल मीडिया पर किस प्रकार का प्रभाव पड़ता है।
इसके साथ ही यह मामला सोशल मीडिया यूजर्स के लिए एक जागरूकता का संदेश भी है कि वे जो सामग्री पोस्ट कर रहे हैं, वह सत्य और सटीक होनी चाहिए। बिना सत्यापन के किसी भी प्रकार की सामग्री पोस्ट करना न केवल कानूनी रूप से गलत हो सकता है, बल्कि यह व्यक्तिगत और सार्वजनिक जीवन पर भी नकारात्मक प्रभाव डाल सकता है।
समीर चौधरी
मैं एक पत्रकार हूँ और भारत में दैनिक समाचारों के बारे में लेख लिखता हूँ। मेरा उद्देश्य समाज को जागरूक करना और सही जानकारी प्रदान करना है।
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