जानिए: राहुल गांधी ने अपने संसद भाषण में 'अभय मुद्रा' का उल्लेख क्यों किया?
राहुल गांधी ने संसद में क्यों किया 'अभय मुद्रा' का उल्लेख?
भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के नेता राहुल गांधी ने हाल ही में लोकसभा में अपने पहले भाषण में 'अभय मुद्रा' का उल्लेख किया। यह एक ऐसा इशारा है जिसमें खुला हाथ दिखाया जाता है और यह सुरक्षा, शांति और निर्भयता का संकेत होता है। उन्होंने इस मुद्रा की तुलना कांग्रेस पार्टी के प्रतीक से की और इसे भय का सामना करने और कभी न डरने का प्रतीक बताया। राहुल गांधी ने इससे पहले भी इस तरह की तुलना वर्ष 2017 और 2022-2023 के बीच अपने भाषणों में की थी।
अभय मुद्रा का महत्व और इतिहास
'अभय मुद्रा' दक्षिण एशियाई धर्मों जैसे हिंदू धर्म, बौद्ध धर्म, जैन धर्म और सिख धर्म में व्यापक रूप से देखी जाती है। विशेष रूप से बौद्ध धर्म में, यह मुद्रा महत्वपूर्ण है और थाईलैंड और लाओस में 'वॉकिंग बुद्धा' की छवियों में देखी जा सकती है। इस इशारे को साहस बढ़ाने और डर और चिंता को कम करने के लिए माना जाता है।
राहुल गांधी और अभय मुद्रा
राहुल गांधी ने अपने भाषण में 'अभय मुद्रा' के माध्यम से कांग्रेस पार्टी के प्रतीक का उल्लेख करते हुए कहा कि यह भय का सामना करने और कभी न डरने का प्रतीक है। यह उन्होंने नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली भाजपा की हिन्दुत्व राजनीति के विरोध में एक वैकल्पिक हिन्दू पहचान के रूप में प्रस्तुत किया।
राहुल गांधी की टिप्पणियों पर प्रतिक्रियाएं
राहुल गांधी की इस टिप्पणी का विभिन्न पार्टी नेताओं और जनता के बीच मिश्रित प्रतिक्रियाएं देखने को मिली। कुछ लोगों ने इसका उपहास भी उड़ाया, खासकर जब उन्होंने स्वीकार किया कि उन्होंने कांग्रेस के प्रतीक का अर्थ गूगल किया था। हालांकि, उनके इस तर्क का एक बड़ा उद्देश्य था – समाज में भय का मुकाबला करना और जनता को निर्भय और साहसी बनाना।
अभय मुद्रा का सांस्कृतिक और धार्मिक महत्त्व
अभय मुद्रा का सांस्कृतिक और धार्मिक महत्त्व बहुत गहरा है। यह न केवल धार्मिक मंडपों और मूर्तियों में देखा जाता है, बल्कि मानवता के लिए भी एक प्रमुख संदेश रखता है। भारतीय समाज में, जहां विभिन्न धर्म और संस्कृति साथ-साथ चलते हैं, इस तरह के सांस्कृतिक प्रतीकों का समावेश और परिचय समाज में एकजुटता और सशक्तिकरण का प्रतीक होता है।
आध्यात्मिक और मानसिक स्वास्थ्य के लिए अभय मुद्रा
'अभय मुद्रा' न केवल धार्मिक और सांस्कृतिक रूप में महत्वपूर्ण है, बल्कि यह मानसिक स्वास्थ्य और आत्मविश्वास को बढ़ाने में भी सहायक होता है। विभिन्न अध्ययनों में पाया गया है कि यह मुद्रा तनाव को कम करने और आत्मविश्वास को बढ़ाने में सहायक हो सकती है। यह मुद्रा न केवल ध्यान और योग में उपयोगी है, बल्कि यह सामान्य जीवन में भी लोगों को स्त्रैण करने में सक्षम है।
अभय मुद्रा और राजनीति
राहुल गांधी द्वारा अपनी राजनीति में 'अभय मुद्रा' का उपयोग एक रणनीतिक चाल हो सकती है। राजनीति में शब्दों और प्रतीकों का अहम महत्व होता है और इस तरह के प्रतीकों का उपयोग जनता से जुड़ने और उनके मस्तिष्क में अपनी पार्टी का एक स्थायी स्थान बनाने के लिए किया जाता है। 'अभय मुद्रा' जैसे प्रतीक भय के माहौल में साहस और दृढ़ता का संदेश देते हैं और समाज को एक सकारात्मक दिशा में ले जाने का प्रयास करते हैं।
अभय मुद्रा: एक संक्षेप समीक्षा
अभय मुद्रा भारतीय और दक्षिण एशियाई सांस्कृतिक और धार्मिक परंपरा में गहरे जड़ित है। यह मुद्रा स्वाभाविकता, सामंजस्य और निर्भयता की भावना उत्पन्न करती है। इसके धार्मिक और सांस्कृतिक मूल्य के अलावा, यह आज के मानसिक स्वास्थ्य और आत्मविश्वास में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है। इस प्रकार, 'अभय मुद्रा' न केवल धर्म और राजनीति में बल्कि व्यक्तिगत विकास के लिए भी एक महत्वपूर्ण प्रतीक है।
समीर चौधरी
मैं एक पत्रकार हूँ और भारत में दैनिक समाचारों के बारे में लेख लिखता हूँ। मेरा उद्देश्य समाज को जागरूक करना और सही जानकारी प्रदान करना है।
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