ईरान के हमले के बाद इजरायल में संयुक्त राष्ट्र प्रमुख का निषेध करते हुए गुटेरेस ने की निंदा
संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस के खिलाफ इजरायल का प्रतिबंध वह कदम है जो पहले कभी नहीं देखा गया था। गुटेरेस का इजरायल दौरा रोकने का निर्णय इजरायली विदेश मंत्री द्वारा लिया गया, जिन्होंने गुटेरेस पर ईरान के मिसाइल हमले की ठीक तरहसे निंदा न करने का आरोप लगाया। यह प्रतिबंध उस समय में आया जब मध्य पूर्व में इजरायल और ईरान के बीच तनाव अपने चरम पर है।
पिछले कुछ वर्षों में इजरायल और ईरान के बीच के तनाव लगातार बढ़ रहे हैं। अक्टूबर 2022 में हमास द्वारा इजरायल पर हमले के बाद इजरायल ने गाजा में सैन्य अभियान चलाया जिससे हजारों लोग मारे गए। इस पर स्थिति तब और बिगड़ी जब हाल ही में ईरान ने इजरायल पर मिसाइलें दागी। इन घटनाओं ने अंतरराष्ट्रीय समुदाय का ध्यान खींचा और संयुक्त राष्ट्र की भूमिका को चुनौतीपूर्ण बना दिया।
इस नवीनतम स्थिति में, इजरायली विदेश मंत्री ने गुटेरेस पर आरोप लगाया कि वे हमेशा से ही इजरायल के खिलाफ बोलते रहे हैं और इन हाल की घटनाओं में भी उनकी निष्पक्षता पर प्रश्न खड़े किए गए हैं। इजरायली मंत्री का यह भी कहना था कि गुटेरेस को ईरान पर अधिक कठोर निर्णय लेते हुए उसका स्पष्ट रूप से विरोध करना चाहिए था।
इस विवाद का एक बड़ा हिस्सा ये भी है कि इजरायल और संयुक्त राष्ट्र के बीच पहले से ही कई मुद्दों पर मतभेद रहे हैं। UNRWA संगठन जिसका प्रबंधन फिलिस्तीनी शरणार्थियों के लिए होता है, उस पर भी इजरायल के आरोप निरंतर चलते रहते हैं। हाल ही में UNRWA के कुछ स्टाफ पर इजरायली छानबीन के बाद आरोप लगाया गया कि उन्होंने अक्टूबर 7 के हमलों में भाग लिया था। इसके परिणामस्वरूप, नौ कर्मचारी निकाले जा चुके हैं।
दूसरी ओर, ईरान के बढ़ते हमलों ने लेबनान में हिज़बुल्लाह को भी सक्रिय कर दिया, जो कि इजरायल के लिए एक नए मोर्चे की तैयारी करता है। यह स्थिति क्षेत्रीय शांति को गंभीर खतरे में डाल सकती है। हिज़्बुल्लाह का समर्थन करने के पीछे ईरान का हाथ माना जाता है और यह इजरायल के लिए सीधे-सीधे गंभीर चिंता का विषय बना हुआ है।
संयुक्त राष्ट्र की भूमिका पर सवाल
गुटेरेस पर लगा यह प्रतिबंध संयुक्त राष्ट्र की भूमिका पर भी सवाल खड़े करता है। क्या शांतिवार्ता और अंतरराष्ट्रीय समझौतों के जरिए समाधान की उम्मीदें वास्तविकता बन सकती हैं या नहीं? गुटेरेस से उम्मीद थी कि वे अंतरराष्ट्रीय मंचों पर बिना किसी भेदभाव के सभी पक्षों के बीच समन्वय करें और समाधान की दिशा में ठोस कदम उठाएं।
आलोचकों का मानना है कि संयुक्त राष्ट्र की भूमिका कई बार संप्रभुता के मुद्दे में उलझ जाती है। हालांकि, मध्य पूर्व जैसे जटिल मुद्दों में, जहां विभिन्न देशों और समूहों की महत्वाकांक्षाएं और हित जुड़े होते हैं, यह जरूरी हो जाता है कि ऐसा कोई मंच हो जो निष्पक्ष रूप से बातचीत करवाए।
इतिहास गवाह है कि जब-जब अंतरराष्ट्रीय संगठन और शक्तियां अपनी भूमिका स्पष्ट नहीं कर पाई हैं, तब-तब समस्या और अधिक जटिल हुई है। ऐसे में अब यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि गुटेरेस कैसे इस स्थिति से निपटते हैं और क्या कोई अंतरराष्ट्रीय पहल उदय होती है जिससे इस संघर्ष के समाधान की दिशा में ठोस कदम उठाए जा सकें।
इजरायल का रुख
इजरायल का रुख इस मामले में काफी सख्त रहा है। एक तरफ जहां उन्हें क्षेत्रीय सुरक्षा को लेकर चिंता है, वहीं दूसरी तरफ वे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी छवि को भी लेकर सतर्क हैं। इजरायल ने यह स्पष्ट कर दिया है कि वे अंतरराष्ट्रीय मंचों पर खुद को दोषारोपण का हथियार बनने नहीं देंगे। उनकी नीतियों का उद्देश्य उनकी राष्ट्रीय सुरक्षा को प्राथमिकता देना है।
यह भी सच है कि इजरायल ने लंबे समय से अपनी सुरक्षा परिस्थितियों को चुनौती के रूप में देखा है और इसी कारण से उनका सुरक्षा नीति को लेकर दृढ़ रुख बना हुआ है। उनके अनुसार, अगर कोई भी संगठन या व्यक्तिगत रूप से कोई इजरायल के खिलाफ किसी भी प्रकार के भेदभाव में शामिल होता है, तो वे उसे बर्दाश्त नहीं करेंगे।
आगे का रास्ता किस दिशा में जाता है, यह देखने की बात है, लेकिन यह निश्चित रूप से कहा जा सकता है कि स्थिति अत्यधिक संवेदनशील है और इसमें जल्द ही कोई समाधान आता दिखाई नहीं देता। केवल इस स्थिति में सभी पक्षों की गंभीरता और संयम ही एकसम्भावित समाधान की दिशा में महत्वपूर्ण कदम होगा।
लंबे समय के संदर्भ
मध्य पूर्व के इस जटिल परिदृश्य में, गुटेरेस का इजरायल में प्रतिबंध दिखाता है कि किस तरह जटिल कूटनीतिक मामलों में छोटी सी स्थिति कितनी प्रभावपूरक हो सकती है। इजरायल और ईरान के बीच लंबे समय के संदर्भ में हम देख सकते हैं कि संकट ने कैसे आकार लिया है और कैसे इसे शान्ति की दिशा में लिया जा सकता है।
क्या गुटेरेस और अन्य अंतरराष्ट्रीय नेता इस तनाव को कम कर सकते हैं, यह तो वक़्त ही बताएगा। इस समय, यह महत्वपूर्ण है कि सभी पक्ष वार्ता और समझौते की ओर बढ़ें ताकि एक संयुक्त और शांतिपूर्ण समाधान निकाला जा सके जो सभी के हितों को पूरा करे।
समीर चौधरी
मैं एक पत्रकार हूँ और भारत में दैनिक समाचारों के बारे में लेख लिखता हूँ। मेरा उद्देश्य समाज को जागरूक करना और सही जानकारी प्रदान करना है।
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