
ट्रम्प के पत्रों से फार्मा स्टॉक्स में गिरावट, 17 दवा कंपनियों को 60 दिन में कीमत घटाने का अल्टिमेटम
ट्रम्प की दवाओं की कीमत घटाने की मांग
31 जुलाई 2025 को अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने 17 प्रमुख दवा कंपनियों को एकदम स्पष्ट पत्र भेजा। इन पत्रों में कंपनियों को 60 दिन का टाइम‑लाइम दिया गया – यानी 29 सितंबर तक उन्हें अमेरिकी दवा कीमतों में उल्लेखनीय कटौती करनी होगी, नहीं तो फेडरल सरकार सभी उपलब्ध साधनों से कार्रवाई करेगी। यह कदम अमेरिकी स्वास्थ्य‑सिस्टम में दवाओं की कीमत को विकसित देशों के समान बनाने की दिशा में एक ‘most‑favored‑nation’ (MFN) प्राइसिंग मॉडल को लागू करने की कोशिश है।
पत्रों में चार मुख्य शर्तें रखी गईं:
- सभी दवाओं को मेडिकेड रोगियों को उन कीमतों पर बेचना, जो यूरोप, जापान और ऑस्ट्रेलिया जैसे धनी देशों में लागू रहती हैं।
- नयी दवाओं को भी मेडिकेयर, मेडिकेड और निजी बीमा वाले मरीजों को वही अंतरराष्ट्रीय कीमतें चुकानी पड़ेंगी।
- उच्च‑वॉल्यूम, हाई‑रिबेट दवाओं के लिए सीधे‑उपभोक्ता (Direct‑to‑Consumer) वितरण मॉडल अपनाना, जिससे मध्यस्थों के मार्जिन कम हों।
- विदेशों में कमाए गए अतिरिक्त राजस्व को यू.एस. में वापस लाना और उन पैसे को दवा कीमत घटाने में लगाना।
इन मांगों को पूरा करने में असफल रहने पर सरकार ने कहा कि वह सभी कानूनी टूल्स, जिसमें आयात टैरिफ, अनुदानों की रोक और संभावित नियामक दण्ड शामिल हैं, का प्रयोग करेगी। यह स्पष्ट संकेत था कि दवा मूल्य निर्धारण नीति में बदलाव की गति तेज़ हो सकती है।
पत्रों के साथ ट्रम्प ने 1 अक्टूबर 2025 से लागू होने वाले 100% फार्मास्यूटिकल टैरिफ का भी एलान किया। इस टैरिफ में जनरिक दवाओं, यूरोपीय निर्यात और अमेरिकी उत्पादन स्थापित करने वाली कंपनियों को छूट दी गई है, जिससे उन कंपनियों को तुरंत नुकसान नहीं होगा जो पहले से ही अमेरिकी मैन्युफैक्चरिंग में निवेश कर रही हैं।

बाजार एवं उद्योग पर प्रभाव
पत्रों के जारी होते ही शेयर बाजार में फार्मा स्टॉक्स में तीव्र गिरावट देखी गई। बड़े नामों जैसे एबवी, पैफ़ाइज़र, जॉन्सन & जॉनसन, मेरक, नोरवो नॉर्डिस्क और नॉवार्टिस के शेयर एक दिन में 3‑5% तक नीचे गए। निवेशकों ने इस बात से डर महसूस किया कि यदि कंपनियों को MFN प्राइसिंग लागू करनी पड़ी, तो उनका लाभ मार्जिन घट जाएगा और आगामी कई दवाओं की लॉन्च रणनीति बदल सकती है।
इसी समय, उद्योग में कई रणनीतिक प्रश्न उभर रहे हैं:
- आर‑एंड‑डी निवेश: उच्च लागत वाले बायोलॉजिकल और जीन‑थैरेपी जैसे नवाचारों के लिए अब अमेरिका में शुरुआती लॉन्च की आर्थिक वैधता कम हो सकती है। कंपनियों को अब सावधानीपूर्वक सोचें कि किस दवा को पहले यू.एस. में लाएं और किसको अन्य देशों में।
- पाइपलाइन प्राथमिकता: वे उपचार क्षेत्र जिनकी कीमतें यूरोपीय मानकों से बहुत अधिक होती हैं, जैसे कैंसर इम्यूनोथेरेपी, के लिए पुनः मूल्यांकन की आवश्यकता हो सकती है।
- क्लिनिकल ट्रायल रणनीति: अभी तक कई कंपनियां अपने बड़े ट्रायल अमेरिका में करती हैं क्योंकि यहाँ बड़ी जनसंख्या और तेज़ फीडबैक मिलता है। अब उन्हें विश्व स्तर पर, विशेषकर यूरोप में, ट्रायल करने पर अधिक विचार करना पड़ेगा।
- वैश्विक राजस्व पुनर्निर्माण: अंतरराष्ट्रीय बाजारों में कम लाभ या टैरिफ के कारण कंपनियां यू.एस. में कमाई को पुनर्निवेश करने की योजना बना सकती हैं, जिससे विदेशी विकास धीमा हो सकता है।
उपभोक्ता संगठनों ने इस कदम का स्वागत किया, कहकर कि दवा कीमतें अब असहनीय रूप से उच्च हैं और कई रोगियों को इलाज से वंचित कर रही हैं। वहीं दवा कंपनियों ने कहा कि इस तरह की नीति एक बार में सभी उत्पादों पर लागू करने से नवाचार पर नकारात्मक असर पड़ेगा, क्योंकि कंपनियां अपनी रिसर्च फंडिंग के स्रोतों को सुरक्षित नहीं कर पाएँगी।
वित्तीय विशेषज्ञों का अनुमान है कि अगर कंपनियां MFN प्राइसिंग को पूरी तरह से अपनाती हैं, तो यू.एस. में दवा की औसत कीमत यूरोपीय औसत से लगभग 30‑40% कम हो सकती है। यह कमी सीधे तौर पर दवा कंपनियों की आय को प्रभावित करेगी, जिससे संभावित डिविडेंड कटौती और शेयर बाय‑बैक में गिरावट आ सकती है। हालांकि, छोटे बायोटेक्स और जेनरिक उत्पादन कंपनियों के लिए यह अवसर हो सकता है, क्योंकि वे कम कीमत पर प्रतिस्पर्धा करने में बेहतर स्थिति में रहेंगे।
भविष्य में क्या होगा, यह अभी अनिश्चित है। कुछ विश्लेषकों का मानना है कि व्हाइट हाउस जल्द ही विस्तृत नियमावली जारी करेगा, जो उद्योग को स्पष्ट दिशा देगी। वहीं, कंपनियों के कानूनी टीम पहले ही संभावित चुनौतीपूर्ण मामलों के लिए तैयार हो रहे हैं, क्योंकि यह अनुकूलन प्रक्रिया कुछ महीनों में पूरी नहीं हो सकती।
अंत में, यह कहा जा सकता है कि ट्रम्प की इस आश्चर्यजनक पॉलिसी परिवर्तन से न सिर्फ़ स्टॉक मार्केट, बल्कि दवा विकास, अंतरराष्ट्रीय व्यापार और आम अमेरिकी रोगियों के उपचार में भी बड़ा बदलाव आ सकता है। यह देखना बाकी है कि अगले 60 दिन में कंपनियां किस तरह प्रतिक्रिया देती हैं और व्हाइट हाउस किस हद तक अपने दावे को लागू करता है।
Aswin Yoga
मैं एक पत्रकार हूँ और भारत में दैनिक समाचारों के बारे में लेख लिखता हूँ। मेरा उद्देश्य समाज को जागरूक करना और सही जानकारी प्रदान करना है।
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